शब्द का अर्थ
|
सिंहावलोकन :
|
पुं० [सं०] १. सिंह की तरह पीछे देखते हुए आगे बढ़ना। २. किये हुए कामों या बीती हुई बातों का स्वरूप जानने या बतलाने के लिए उन पर द्रष्टिपात करना। ३. संक्षेप में पिछली बातों का दिग्दर्शन या वर्णन। (रिट्रास्पेक्शन) ४. कविता में ऐसी रचना जिसमें किसी चरण के अन्त में आये हुए कुछ शब्दों से फिर उसके बाद वाले चरण का आरंभ किया जाता है। जैसे—यदि पहले चरण के अंत में ‘पारिजात’ हो और उसके बाद वाले चरण का आरंभ भी ‘पारिजात’ से हो तो यह सिंहावलोकन कहलायगा। ५. साहित्य में, यमक अलंकार का एक प्रकार या भेद जिसमें छंद का अंत भी उसी शब्द से किया जाता है जिससे उसका आरंभ होता है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सिंहावलोकनिक :
|
वि० [सं०] १. सिंहावलोकन के रूप में या उसके सिद्धान्त से संबंध रखने वाला। जिसमें सिंहावलोकन होता हो। (रिट्रासपेक्टिव) २. दे० ‘प्रतिवर्ती’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |