शब्द का अर्थ
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सर्द :
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वि० [फा०] १. इतना अधिक ठंढा कि कँपकँपी होने लगे। जैसा—सर्द हवा। मुहावरा—सर्द हो जाना=मर जाना। २. ढीला। शिथिल। ३. धीमा। मंद। ४. काहिल। सुस्त। ५. आवेग उत्साह प्रखरता आदि से रहित या हीन। क्रि० प्र०—पड़ना। ६. नपुंसक। नामर्द। ७. स्वाद रहित। फीका। |
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समानार्थी शब्द-
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सर्द-दाई :
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स्त्री० [सं० सर्द+हि० बाई] हाथी की एक बीमारी जिसमें उसके पैर जकड़ जाते हैं। |
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सर्द-बाजारी :
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स्त्री० [फा०+हि] बाजार की वह अवस्था जब माल तो यथेष्ट होता है परन्तु उसके ग्राहक नहीं होते। |
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सर्दई :
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वि० पुं० सरदई। |
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सर्दखाना :
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पुं० [फा० सर्दखानः] १. वह बड़ा और ठंढा कमरा जो मध्ययुग में कस्बों और छोटे-छोटे नगरों में घनी छाँह वाले वृक्षों के नीचे इस उद्देश्य से बनाया जाता था कि गरमी के दिनों में लोग दोपहर के समय वहाँ आकर ठंढक में समय बितावें। २. आजकल विशिष्ट प्रकार से बनाई हुई वह इमारत जिसमें यांत्रिक साधनों से ठंढक की व्यवस्था रहती है, और इसीलिए जहां तरकारियाँ फल आदि सड़ने से बचाने के लिए सुरक्षित रूप में रखे जाते हैं। ठंढा गोदाम। सीतागार। (कोल्ड स्टोरेज)। |
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सर्दमिजाज :
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वि० [फा०+अ०] [भाव० सर्दमिजाजी] १. (व्यक्ति) जिसमें आवेग, उमंग, प्रखरता आदि बातें सहसा न आती हों। उत्साहहीन। मुर्दादिल। २. जिसमें शील, संकोच आदि का अभाव हो। रूबे स्वभाववाला। |
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सर्दा :
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पुं०=सरदा (फल)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सर्दाबा :
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पुं०=सरदाबा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सर्दार :
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पुं०=सरदार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सर्दी :
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स्त्री०=सरदी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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