सम्मोह/sammoh

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सम्मोह  : पुं० [सं० सम√मुह् (मोहित करना)+घञ्] १. मोह। २. प्रेम। ३. भ्रम। धोखा। ४. सन्देह। ५. मूर्च्छा। बेहोशी। ६. एक प्रकार का छंद जिसके प्रत्येक चरण में एक तगण और एक गुरु होता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
सम्मोहक  : वि० [सं० सम√मुह् (मुग्ध होना)+णिच्-ण्वुल्-अक] १. सम्मोहन करनेवाला। सम्मोहन शक्ति से युक्त। २. मनोहर। सुन्दर। पुं० सन्निपात ज्वर का एक भेद।
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सम्मोहन  : पुं० [सं०] १. इस प्रकार किसी को मुग्ध करना कि इसमें हिलने-डुलने करने-धरने तथा सोचने-विचारने की शक्ति न रह जाय। २. वह गुण, या शक्ति जिसके द्वारा किसी को उक्त प्रकार से मुग्ध किया जाता है। ३. शत्रु को मुग्ध करने का एक प्राचीन अस्त्र। ४. कामदेव का एक बाण। वि० सम्मोहक।
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सम्मोहनी  : स्त्री० [सं० सम्मोहन-ङीप्] १. लोगों को मोह में डालने या मुग्ध करनेवाली एक तरह की माया। २. लाक्षणिक अर्थ में वह शक्ति जो मनुष्य को असमर्थ बनाकर भुलावे में डाल देती है।
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सम्मोहित  : भू० कृ० [सं० सम-मुह् (मुग्ध करना)+णिच्-क्त] १. सम्मोहन के द्वारा जो मुग्ध मोहित या वशीभूत किया गया हो। २. बेहोश किया हुआ।
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