संगत/sangat

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संगत  : वि० [सं०] १. किसी के साथ जुड़ा या मिला या लगा हुआ। २. इकट्ठा किया हुआ। ३. जो किसी वर्ग, जाति आगि का होने के कारण उसके साथ रखा, बैठाया या लगाया जा सका हो। ४. पूर्वापर या आस-पास की बातों के विचार से अथवा और किसी प्रकार से ठीक बैठने या मेल खानेवाला। (रेलेवेन्ट)। ५. जिसमें संगति हो। ६. किसी के साथ दाम्पत्य या वैवाहिक बंधन से बंधा हुआ। स्त्री० [सं०√ गम् (जाना)+क्त] १. संग रहने या होने का भाव। साथ रहना। सोहबत। संगति। २. साथ रहनेवालों का दल या मंडली। ३. गाने-बजानेवालों के साथ रहकर सारंगी, तबला, मँजीरा आदि बजाने का काम। क्रि० प्र०—बजाना।—में रहना। मुहावरा—संगत करना=गानेवाले के साथ ठीक तरह से तबला, सारंगी, सितार आदि बजाना। ४. गाने-बजानेवालों का दल या मंडली। उदाहरण—इधर और उधर रखके कंधे पे हाथ। चलो नाचती गाती संगत के साथ।—कोई शायर। ५. वह जो इस प्रकार किसी गाने या नाचनेवाले के साथ रहकर साज बजाता हो। ६. उदासी, निर्मले आदि साधुओं के रहने का मठ। ७. लगाव। संपर्क। संसर्ग। ८. स्त्री और पुरुष का मैथुन। संभोग (बाजारू)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
संगत-संधि  : स्त्री० [सं० ष० त०] प्राचीन भारतीय राजनीति में अच्छे राष्ट्र के साथ होनेवाली संधि जो अच्छे और बुरे दिनों में एक-सी बनी रहती है। कांचन संधि।
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संगतरा  : पुं०=संतरा (मीठी नारंगी)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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संगति  : स्त्री० [सं०] [वि० संगत] १. संगत होने की अवस्था, क्रिया या भाव (कम्पैटिबिलिटी)। २. किसी के संग मिलने की क्रिया या भाव। मेल। मिलाप। मुहावरा—संगति बैठाना, मिलाना या लगाना=दो चीजों या बातों का मेल मिलाकर उन्हें संगत सिद्ध करना। ३. संग। साथ। सोहबत। ४. संपर्क। संबंध। ५. साहित्य में आगे-पीछे जानेवाले वाक्यों आदि का अर्थ के विचार से या कार्यों आदि का पूर्वापर के विचार से ठीक बैठना या मेल खाना (कन्सिस्टेन्सी)। क्रि० प्र०—बैठना।—बैठाना।—मिलना।—मिलाना। ६. कला के क्षेत्र में किसी कृति के भिन्न भिन्न अंगों की ऐसी सुसंघटित स्थिति जिसमें कहीं से कोई चीज या बात उखडती या टूटती हुई न जान पडे और उसका सारा प्रवाह या रूप कहीं से खटकता हुआ सा जान पड़े। तालमेल। सामंजस्य। (हाँर्मनी)। ७. लोक व्यवहार में आस-पास की बातों या पूर्वापर स्थितियों के विचार से सब बातों के उपयुक्त और ठीक रूप से यथा-स्थान होने की ऐसी अवस्था या भाव जिसमें कहीं परस्पर विरोधी तत्व न दिखाई देते हों। (रेलेवेन्सी)। क्रि०प्र०-बैठना।—बैठाना।—मिलना-मिलाना। ८. कोई बात जानने या समझने के लिए उसके संबंध में बार-बार प्रश्न करना। ९. जानकारी। ज्ञान। १॰. सभा। समाज। ११. मैथुन। संभोग। १२. मुक्ति। मोक्ष।
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संगतिया  : पुं० [सं० संगत+हिं०इ या (प्रत्यय)] १. गवैया या नाचनेवालों के साथ रहकर तबला, मँजीरा सारंगी आदि बजानेवाला व्यक्ति। साजिंदा। २. संगी। साथी।
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संगती  : पुं० [सं० संगत+हिं० ई (प्रत्यय)] १. वह जो साथ में रहता हो। संग रहनेवाला। २. दे० संगतिया।
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