शब्द का अर्थ
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शूर्प :
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पुं० [सं०√शूर्प (परिमाण)+घञ्] १. अनाज फटकने का सूप। २. दो द्रोण का एक प्राचीन परिमाण। |
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शूर्प-श्रुति :
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पुं० [सं० ब० स०] शूर्पकर्ण। |
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शूर्पक :
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पुं० [सं० शूर्प+कन्] एक असुर जो किसी के मत से कामदेव का शत्रु था। |
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शूर्पकर्ण :
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वि० [सं० ब० स०] जिसके सूप के समान कान हों। पुं० १. हाथी। २. गणेश। ३. एक प्राचीन देश। ४. उक्त देश का निवासी। ५. एक पौराणिक पर्वत। |
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शूर्पकारि :
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पुं० [सं० ष० त० स०] शूर्पक का शत्रु अर्थात् कामदेव। |
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शूर्पणखा :
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वि० [सं० ब० स०] (स्त्री) जिसके नख सूप के समान हों। स्त्री० रावण की बहन। |
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शूर्पनखा :
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स्त्री०=सूर्पणखा। |
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शूर्पाद्रि :
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पुं० [सं० मध्यम० स०] दक्षिण भारत का एक पर्वत। |
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शूर्पारक :
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पुं० [सं०] बंबई प्रांत के थाना जिले के सोयारा नामक स्थान का प्राचीन नाम। |
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शूर्पी :
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स्त्री० [सं० सूर्प-ङीष्] १. छोटा सूप। २. शूर्पणखा। ३. एक प्रकार का खिलौना। |
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