| शब्द का अर्थ | 
					
				| शुचि					 : | वि० [सं०√शुच्+कि] [भाव० शुचिता] १. शुद्ध। पवित्र। साप। स्वच्छ। ३. निर्दोष। ४. स्वच्छ हृदयवाला। ईमानदार और सच्चा। ५. चमकीला। स्त्री० १. पवित्रता। शुद्धता। २. स्वच्छता। पुं० १. सफेद रंग। २. सूर्य। ३. चन्द्रमा। ४. अग्नि। ५. शिव। ६. शुक्र नामक ग्रह। ७. ग्रीष्म ऋतु। गरमी के दिन। ८. ज्येष्ठ मास। जेठ मास का महीना। पुं० [सं० शुच्+कि] १. अग्नि। २. चन्द्रमा। ३. ग्रीष्म ऋतु। ४. शुक्र। ५. ब्राह्मण। ६. कार्तिकेय। ७. चित्रक या चीता नामक वृक्ष। | 
			
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				| शुचिकर्मा (र्मन्)					 : | वि० [सं० ब० स०] सदाचारी। | 
			
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				| शुचिता					 : | स्त्री० [सं० शुचि+तल्—टाप्] १. शुचि होने की अवस्था, धर्म या भाव। २. स्वास्थ्य रक्षा की दृष्टि से खान-पान, रहन-सहन आदि में भद्रता और सफाई रखने की अवस्था या भाव (सैनिटेशन)। | 
			
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				| शुचिद्रुम					 : | पुं० [सं० कर्म० स०] पीपल। | 
			
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				| शुचिरोचि					 : | पुं० [सं० ब० स० शलिरोचिस्] चन्द्रमा। | 
			
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				| शुचिश्रवा (वस्)					 : | पुं० [सं० ब० स०] विष्णु का एक नाम। | 
			
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