शब्द का अर्थ
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शीर्ष :
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पुं० [शिरस्-शीर्ष, पृषो√शृ+क, सुक् वा०] १. किसी चीज का सबसे ऊपरी तथा उन्नत सिरा। २. सिर। ३. मस्तक। ललाट। ४. काला अगर। ५. एक प्रकार की घास। ६. एक प्राचीन पर्वत। ७. ज्यामिति में वह बिन्दु जिस पर दो ओर से दो तिरछी रेखाएँ आकर मिलती हों (वर्टेक्स) ८. खाते में किसी मद का नाम (हेड)। |
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शीर्ष-कोण :
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पुं० [सं० मध्य० स०] ज्यामिति में किसी आकृति का वह कोण जो तल के ठीक ऊपरी भाग में खड़े बल में होता है। (वर्टिकल एंगिल)। |
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शीर्ष-नाम :
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पुं० [सं० मध्य० स०] लेख्य, विधान आदि का वह पूरा नाम जो उसके आरम्भ में विशेषतः मुख पृष्ठ पर रहता है। |
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शीर्ष-पट :
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पुं० [सं० ष० त० स०] सिर पर लपेटा जानेवाला वस्त्र अर्थात् पगड़ी या साफा। |
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शीर्ष-बिंदु :
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पुं० [सं० ष० त० स०] १. आँख का मोतिय-बिंद नामक रोग। २. दे० ‘शिरोबिन्दु’। |
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शीर्ष-रक्ष :
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पुं० [शीर्ष√रक्ष् (रक्षा करना)+अण्] शिरस्त्राण। |
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शीर्ष-रेखा :
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स्त्री० [सं० मध्य० स०] १. किसी वर्ण के ऊपरवाली रेखा या लकीर। २. देव-नागरी लिपि में चिन्हों के ऊपर की सीधी बेड़ी रेखा। |
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शीर्ष-स्थान :
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पुं० [सं० मध्य० स०] १. सबसे ऊँचा स्थान। २. सिर। |
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शीर्षक :
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पुं० [सं० शीर्ष√कै (होना)+क] १. सिर। १. मस्तक। माथा। ३. ऊपरी भाग। चोटी। ४. सिर की हड्डी। ५. टोपी आदि शिरस्त्राण। ६. लेखों आदि के ऊपर दिया जानेवाला उनका ऐसा नाम जिससे उनके विषय का कुछ परिचय मिलता हो (हेडिंग)। ७. राहु ग्रह। |
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शीर्षण्य :
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पुं० [सं० शीर्ष+यत्-शीर्षन्] १. टोपी। २. सिर के साफ और सुलझे बाल। ३. खाट या चारपाई का सिरहाना। ४. पगड़ी। साफा। |
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शीर्षासन :
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पुं० [सं० शीर्ष+आसन] हठयोग, व्यायाम आदि में एक प्रकार का आसन या मुद्रा जिसमें सिर नीचे और पैर ऊपर करके सीधे खड़ा हुआ जाता है। |
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शीर्षोदय :
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पुं० [सं० ष० त० स०] मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, कुंभ, और मीन राशियाँ जिनका उदय शीर्ष की ओर से होना माना गया है। |
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