शिष्य/shishy

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शिष्य  : पुं० [सं०√शास् (अनुशासन करना)+क्पष्] [भाव० शिष्यता] १. वह जो शिक्षक से किसी प्रकार की शिक्षा पाता हो। विद्यार्थी। २. किसी की दृष्टि से वह व्यक्ति जिसने उससे विद्या सीखी हो। ३. वह जिसने किसी को अपना गुरु और आदर्श मानकर उससे कुछ पढ़ा या सीखा हो या उसके दिखलाये मार्ग का श्रद्धापूर्वक अनुकरण किया हो। चेला। शागिर्द। (डिसाइपुल)। ४. वह जिसने गुरु आदि से गुरुमंत्र लिया हो। चेला। ५. वह जो अभी हाल में श्रावक बना हो।
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शिष्य-परंपरा  : स्त्री० [सं० ष० त० स०] किसी गुरु के सम्प्रदाय की परम्परागत शिष्य मंडली।
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शिष्यता  : स्त्री० [सं० शिष्य+तल्-टाप्] शिष्य होने की अवस्था या भाव। शिष्यत्व।
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शिष्यत्व  : पुं० [सं० शिष्य+त्व]=शिष्यता।
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शिष्या  : स्त्री० [सं० शिष्य-टाप्] एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में सात गुरु अक्षर होते हैं। शीर्षरूपक। स्त्री० सं० शिष्य का स्त्री।
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