| शब्द का अर्थ | 
					
				| व्यजन					 : | पुं० [सं० वि√अज्+ल्युट] [भू० कृ० व्यजित, वि√अव+क्त] १. पंखे आदि से हवा करने की क्रिया या भाव। २. पंखा। ३. आजकल कमरे निवास-स्थान आदि में खिड़कियों झरोखों आदि के द्वारा की जानेवाली ऐसी व्यवस्था जिससे घिरी और छाई हुई जगह में बराबर हवा आती जाती रहे। संवातन। हवादारी (वेन्टिलेशन)। ४. किसी प्रश्न या बात की ओर जन-साधारण या उससे संबद्ध लोगों का ध्यान खींचना। | 
			
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				| व्यजनिक					 : | पुं० [सं० व्यंजन+ठक्-इक] [स्त्री० व्यंजनिका] वह नौकर या सेवक जिसका मुख्य काम स्वामी को पंखा हाँकना होता था। | 
			
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				| व्यजनी (निन्)					 : | पुं० [सं० व्यंजन+इनि] ऐसा पशु जिसकी पूँछ चँवर बनाने के काम आती है। | 
			
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