नापना/naapana

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नापना  : [सं० मापन] १. नियत या निर्धारित नाप, मान या माप-दंड की सहायता से किसी चीज की लंबाई-चौड़ाई, गहराई-ऊँचाई आदि अथवा किसी प्रकार के आयत या विस्तार का ठीक ज्ञान प्राप्त करना या पता लगाना। मापने की क्रिया करना। जैसे–गज, बित्ते, हाथ आदि से कपड़ा नापना। (गरदन नापना, रास्ता नापना आदि मुहावरों के लिए देखें गरदन, रास्ता आदि के मुहा०)। संयो० क्रि०–डालना।–देना।–लेना। विशेष–चीजें नापने के लिए सुभीते के अनुसार अलग-अलग प्रकार की इकाइयाँ स्थिर कर ली जाती हैं। जैसे–अँगुल, बित्ता, हाथ, गज आदि, और तब उन्हीं इकाइयों के आधार पर चीजों की नाप की जाती है। जैसे–यह धोती नापने पर पौने पाँच गज निकली; अथवा यह रस्सी नापने पर बीस हाथ ठहरी। २. कुछ विशिष्ट तरल पदार्थों के संबंध में, किसी नियत इकाई की सहायता से उसके परिमाण, भार आदि का पता लगाना या स्थिर करना। जैसे–नपने से तेल या दूध नापना। विशेष–वास्तव में इस क्रिया का उद्देश्य किसी पदार्थ को तौलना ही होता है; परंतु इसके लिए कोई ऐसा पात्र स्थिर कर लिया जाता है, जिसमें कोई चीज तौल के हिसाब से किसी विशिष्ट इकाई के बराबर आती हो, और तब वही पात्र (जिसे नपना या नपुआ कहते हैं) बार-बार भरकर उस चीज की तौल या मान स्थिर करते हैं। इससे तौलने की झंझट से बचत होती है। आज-कल अधिकतर तरल पदार्थ इसी प्रकार नापे (वस्तुतः तौले) जाते हैं। कुछ ही दिन पहले अनाज आदि भी इसी तरह नाप (वस्तुतः तौल) कर बेचे जाते थे। ३. अंदाज करना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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