नष्टाश्वदग्धरथन्याय/nashtaashvadagdharathanyaay

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नष्टाश्वदग्धरथन्याय  : पुं० [नष्ट-अश्व, ब० स० दग्ध, रथ, ब० स० नष्टाश्व-दग्धरथ, द्व० स०, रथ-न्याय, ष० त०] घोड़ों के खोने और रथ के जलने की एक कथा पर आधारित एक न्याय जिसका आशय यह है कि दो व्यक्ति आपसी सहयोग से किसी काम में सफल हो सकते हैं। विशेष–दो व्यक्ति अपने-अपने रथों पर कहीं जा रहे थे। किसी पड़ाव पर एक व्यक्ति के घोड़े खो गये और दूसरे का रथ जल गया। तब एक के रथ में दूसरे के घोड़े जोतकर वे दोनों गंतव्य स्थान पर पहुँचने में समर्थ हुए थे।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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