ताना/taana

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ताना  : पुं० [हिं० तानना] १. तानने की क्रिया या भाव। २. तनी या तानी हुई वस्तु। ३. करघे की बुनाई में वे सूत या तागे जो लंबे बल में ताने जाते हैं। विशेष–जो सूत या तागे चौड़ाई के बल बुने जाते हैं, उन्हें ‘बाना’ कहते है। क्रि० प्र०–तानना।–फैलाना।–लगाना। पद–ताना-बाना (दे०)। ३. कालीन, दरी आदि बुनने का करघा। स० [हिं० ताव+ना (प्रत्यय)] १. आग से अथवा किसी और प्रक्रिया से किसी चीज को खूब गरम करना। तपाना। जैसे–(क) तंदूर ताना। (ख) घी या मक्खन ताना। २. परीक्षा करने के लिए धातुओं आदि का तपाना। ३. किसी को दुःखी या संतप्त करना। स० [हिं० तवा] गीली मिट्टी या आटे से ढक्कन चिपकाकर किसी बरतन का मुँह बंद करना। मूँदना। पुं० [अ० तअनऽ] ऐसा कथन जिसमें किसी को उसके द्वारा किए हुए अनुचित या अशोभनीय व्यवहार का उसे स्पष्ट किंतु कटु शब्दों में स्मरण कराकर लज्जित किया जाय। क्रि० प्र०–देना।–मारना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
ताना-पाई  : स्त्री० [हिं० ताना+पाई=ताने का सूत फैलाने का ढांचा] १. पाइयों पर ताना तानने या फैलाने की क्रिया या भाव। २. इस प्रकार पाइयों पर फैलाए हुए ताने को बार-बार इधर-उधर आ जा कर कूची आदि से साफ करना तथा सीध में लाना। ३. बार-बार इधर-उधर आना-जाना।
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ताना-बाना  : पुं० [हिं० ताना+बाना] बुनाई के समय लंबाई के बल ताने या फैलाये जानेवाले और चौड़ाई के बल बुने जानेवाले सूत। मुहावरा–ताना-बाना करना-बार-बार इधर-उधर आना-जाना।
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ताना-रीरी  : स्त्री० [हिं० तान+अनु० रीरी] साधारण गाना।
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तानाशाह  : पुं० [हिं० तनना या तानना+फा० शाह] १. अब्दुल हसन नामक स्वेच्छाचारी बादशाह का लोक प्रसिद्ध नाम। २. ऐसा शासक जो मनमाने ढंग से सब काम करता हो और किसी प्रकार के नियम या बंधन न मानता हो। ३. ऐसा व्यक्ति जो अपने अधिकारी का बहुत दुरुयोग करता हो।
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तानाशाही  : स्त्री० [हिं० तानाशाह] तानाशाह होने की अवस्था या भाव। मनमाना आचरण या शासन करने की वृत्ति। स्वेच्छाचारी।
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