डोरा/dora

शब्द का अर्थ खोजें

शब्द का अर्थ

डोरा  : पुं० [सं० डोरक] १. रूई, सन, रेशम आदि के सूतों का बटकर बनाया हुआ वह पतला धागा जो प्रायः कपड़े आदि सीने और छोटी मोटी चीजें बाँधने के काम आता है। मोटा धागा। २. कोई ऐसी धारी, रेखा या लकीर जो उक्त खंड की तरह दूर तक चली गई हो। जैसे–(क) कपड़ों की बुनावट में अलग से धारियाँ या लहरिया दिखाने के लिए डाला जानेवाला डोरा। (ख) आँखों में काजल या सुरमें का डोरा। ३. उक्त के आधार पर कोई गोलाकार पतली लंबी धारी या रेखा। जैसे–भोजन के समय रसोई परोस चुकने पर दाल, भात आदि में तपे हुए घी का दिया जाने वाला डोरा। ४. कोई ऐसा तथ्य या बात जिसका अनुसरण करने पर किसी घटना के रहस्य का पता लग सके या अनुसंधान में किसी प्रकार की सहायता मिले। सुराग। सूत्र। ५. आँखों की वे बहुत महीन लाल नसें जो साधारणयतः मनुष्यों की आँखों में उस समय दिखाई देती है जब वे सोकर उठते या नशे, प्रेम आदि की उमंग में होते हैं। ६. उक्त के आधार पर प्रेम या स्नेह का बंधन या सूत्र। मुहावरा–(किसी का) डोरा लगना=किसी के प्रेम-सूत्र के बन्धन में पड़ना। (किसी पर) डोरे डालना=किसी को अपने प्रेम पाश में बाँधने के लिए उसके साथ बहुत ही मधुर या मृदुल आचरण अथवा व्यवहार करना। ७. नृत्य में गरदन हिलाने की वह अवस्था जिसमें वह बहुत कुछ हवा में लहराते हुए डोरे या सूत की तरह कभी कुछ इधर और कभी कुछ उधर होती हो। ८. कलछी की तरह वह बरतन जिसमें नीचे बड़ा कटोरा और ऊपर खड़े बल में काठ का कुछ मोटा दस्ता या हत्था लगा होता है और इसी से कड़ाही में से जलता हुआ घी, दूध, शीरा आदि निकालते हैं। ९. रहस्य संप्रदाय में श्वास या साँस पुं० [हिं० ढोंड़] पोस्ते आदि का डोडा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
लौटें            मुख पृष्ठ