डकार/dakaar

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डकार  : पुं० [सं० डक्क=पुकार] १. वह शारीरिक व्यापार जिसमें पेट भरने पर उसके अन्दर की हवा एकाएक शब्द करती हुई मुँह के रास्ते बाहर निकलती है। २. उक्त हवा के मुँह से निकलते समय होनेवाला शब्द। मुहावरा–डकार तक न लेना=किसी का धन इस प्रकार हजम कर जाना कि किसी को खबर तक न लगे। ३. बाघ, सिंह आदि की गरज। दहाड़। क्रि० प्र०–लेना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
डकारना  : अ० [हिं० डंकार+ना (प्रत्य०)] १. डकार लेना। २. दे० ‘डकरना’। स० किसी का धन या माल लेकर पचा जाना, हजम कर जाना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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