जानाँ/jaanaan

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जानाँ  : स्त्री० [फा० जान का बहु] प्रेमपात्र। प्रेयसी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
जाना  : अ० [अ० या प्रा जा+हिं० प्र० ना] १. एक स्थान से चलकर अथवा और किसी प्रकार की गति में होकर दूसरे स्थान तक पहुँचने के लिए आगे या उसकी ओर बढ़ना। गमन या प्रस्थान करना। जैसे–(क) अपने मित्र के घर जाना। (ख) रेल पर बैठकर कलकत्ते अथवा हवाई जहाज पर बैठकर अमेरिका जाना। मुहावरा–(कहीं) जा पड़ना=अचानक कहीं पहुँचना या उपस्थित होना। २. किसी उद्देश्य की सिद्धि या कार्य की पूर्ति के लिए कहीं प्रस्थान करना। जैसे–लड़के का कहीं का खेलने या पढ़ने जाना। (ख) कर्मचारी का अधिकारी के पास जाना। (ग) सेना का युद्ध जाना। ३. यानों, आदि के संबंध में, अथवा उनसे भेजी जानेवाली चीजों के संबंध में, नियत या नियमित रूप से यात्रा आरंभ करना। जैसे–(क) यहाँ से रोज सन्ध्या को एक नाव या मोटर जाती है। (ख) हजारों रुपये के बरतन बाहर जाते हैं। ४. भौतिक या यांत्रिक प्रक्रियाओं से होनेवाले कामों या बातों के संबंध में, किसी प्रकार के वाहक साधन के द्वारा प्रसारित या प्रेषित होना। जैसे–(क) अब अनेक स्थानों से हिंदी में भी तार जाने लगे हैं। (ख) अह तो रेडियो के सब जगह खबरें जाने लगी हैं। (ग) हवा चलने पर इस फूल की सुगंध बहुत दूर तक जाती है। ५. तरल पदार्थ का आधार या पात्र में से निकलना, बहना या रसना। जैसे–आँखों से पानी जाना, फोड़ा से मवाद जाना, गले या नाक से खून जाना। ६. रेखा आदि के रूप में होनेवाली कृतियों, रचनाओं आदि के संबंध में एक बिंदु या स्थान से दूसरे बिंदु या स्थान तक विस्तृत रहना या होना। जैसे–यह गली उनके मकान तक अथवा यह सड़क दिल्ली से अमृतसर तक जाती है। ७. मन, विचार आदि के संबंध में, किसी की ओर उन्मुख या प्रवृत्त होना। जैसे–किसी काम, बात या व्यक्ति की ओर ध्यान या मन जाना। मुहावरा–किसी बात पर या किसी की बात पर जाना=महत्त्वपूर्ण समझकर उसकी ओर ध्यान देना। जैसे–आप इनकी बातों पर न जाएँ, ये तो यों ही बकते रहते हैं। ८. किसी स्थान से किसी चीज का उठाने या हटाने पर वर्तमान न रहना। जैसे–मेज पर से घड़ी चोरी जाना, घर से माल या समान जाना। ९. किसी के अधिकार, कार्यक्षेत्र, वश आदि से निकलना या बाहर होना। जैसे–(क) मुकदमेबाजी में उनके दोनों मकान गये। (ख) हमारी घड़ी जायगी तो तुम्हें दाम देना पड़ेगा। मुहावरा–जाने देना=(क) अधिकार, नियम आदि शिथिल रखकर किसी की प्रस्थान आदि की अनुमति देना। जैसे–लड़कों को खेलने कूदने के लिए भी जाने दिया करो। (ख) किसी को उपेक्ष्य या तुच्छ समझकर उसकी चिंता या विचार न करना अथवा उस पर ध्यान न देना। जैसे–अब लड़ाई-झगड़े की बातें जाने दो, और काम की बातें करो। १॰. कहीं या किसी से छूटकर अलग होना या रहना। जैसे–(क) घर से बीमारी या रोग जाना। (ख) किसी की नौकरी या यजमानी जाना। ११. न रह जाना। नष्ट होना। जैसे–आँखों की ज्योति जाना। पद–गया गुजरा या गया बीता-जो बहुत नष्ट या विकृत हो चुका हो। मुहावरा–क्या जाता है=कुछ चिंता नहीं। कोई हानि नहीं है। जैसे–हमारा क्या जाता है, वह जो चाहे सो करे। १२. मरना। जैसे–(क) उसके माँ-बाप तो पहले ही जा चुके थे। (ख) जो आया है वह जायगा ही। १३. काल या समय व्यतीत होना। गुजरना। बीतना। जैसे–इस महीने में भी चार दिन जा चुके हैं। १४. बेचा जाना या बिकना। जैसे–यह मकान दस हजार रुपए से कम में नहीं जायगा। विशेष–‘जाना’ क्रिया प्रायः दूसरी क्रियाओं के साथ संयोज्य क्रिया के रूप में प्रयुक्त होकर कई प्रकार के अर्थ देता या भाव सूचित करता है। यथा–(क) मुख्य क्रिया की पूर्णता या समाप्ति। जैसे–बन जाना, मर जाना, मिट जाना हो जाना। (ख) कुछ जल्दी या सहज में, परन्तु पूरी तरह से। जैसे–खा जाना, निगल जाना, समझ जाना। (ग) कोई कठिन बड़ा या महत्वपूर्ण कार्य कौशलपूर्वक कर डालना। जैसे–(क) आप भी कभी-कभी बहुत-कुछ कह जाते हैं। (ख) वह भी बहुत कुछ कर जायँगे।
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