गाथ/gaath

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गाथ  : पुं० [सं०√गा(गाना या स्तुति)+थन्] १. गाना। गान। २. प्रशंशा। स्तुति। स्त्रोत। ३. कथा। कहानी। ४. विस्तारपूर्वक किया जानेवाला वर्णन।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
गाथक  : पुं० [सं०√गा+थकन्] गाथा कहने या लिखनेवाला।
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गाथना  : स० [हिं० गथना] १. अच्छी तरह पकड़ना। २. कसना। जकड़ना। ३. गूथना। पिरोना।
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गाथा  : स्त्री० [सं० गाथ+टाप्] १. गीत, विशेषतः अपनी रमणीयता के कारण सब तरह के लोगों में गाया जानेवाला गीत। २. प्राकृत भाषा का एक छंद जिसमें उक्त प्रकार के गीत लिखे जाते थे। विशेष-इन गीतों में किसी के किए हुए यज्ञों आदि का प्रशंसात्मक उल्लेख होता था। ३. परवर्ती काल में, आर्या छंद का एक भेद या रूप जिसमें पाली, प्राकृत आदि में ऐसी रचनाएँ होती थी, जिनमें ताल स्वर आदि के नियमों का बंधन नहीं होता था। ४. छोटे-छोटे पद्यों में बहुत ही सीधे सादे ढंग सें और विस्तारपूर्वक कही हुई वह प्रभावोत्पादक कथा जिसमें प्रायः सच्ची घटनाओं या विशिष्ट तथ्यों का वर्णनहोता है। (बैलड) ५. पारसियों तथा बौद्धों के धर्मग्रंथों मे की उक्त प्रकार की रचनाएँ। ६. कोई कथा या वृत्तांत। ७. किसी की प्रशंसा या स्तुति।
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गाथाकार  : पुं० [सं० गाथा√कृ (करना)+अण्] १. गाथाएं रचनेवाला। २. महाकाव्य का रचयिता। ३. गायक।
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गाथिक  : पुं० [सं० गाथा+ठक्-इक] [स्त्री० गाथिका]-गाथक।
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गाथी(थिन्)  : पुं० [सं० गाथा+इनि] सामवेद गानेवाला।
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