| शब्द का अर्थ | 
					
				| कृत्त					 : | वि० [सं०√कृत्त (काटना)+क्त] १. कटा हुआ। विभक्त। २. अभिलषित। | 
			
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				| कृत्ति					 : | स्त्री० [सं०√कृत्+क्तिन्] १. मृगचर्म। २. चर्म। खाल। ३. भोजन पत्र। ४. कृत्तिका नक्षत्र। | 
			
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				| कृत्तिका					 : | स्त्री० [सं०√कृत्त+तकिन्, टाप्] १. २७ नक्षत्रों में से तीसरा नक्षत्र। २. छकड़ा। | 
			
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				| कृत्तिकांजि					 : | पुं० [सं० कृत्तिका-अञ्जि, ब० स०] अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े के मस्तक पर लगाया जानेवाला तिलक, जो शकटाकार होता था। | 
			
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				| कृत्तिवास					 : | पुं० [सं० कृत्ति√वस् (आच्छादन)+अण्, उप० स०] महादेव। | 
			
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				| कृत्तिवासा (सस्)					 : | पुं० [सं० ब० स०] शिव। | 
			
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