कलाप/kalaap

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कलाप  : पुं० [सं० कला√आप् (पाना)+अण्] १. एक ही प्रकार की बहुत-सी चीजों या बातों का समूह। जैस—कार्य-कलाप। केश-कलाप। २. किसी चीज को या बहुत-सी चीजों को एक में बाँधनेवाली चीज। ३. घास-फूस आदि का गट्ठा या पूला। ४. कमरबंद। पेटी। ५. करधनी। ६. कलाई पर बाँधा जानेवाला सूत का लच्छा। कलावा। ७. किसी प्रकार का कार्य या व्यापार। ८. आभूषण। गहना। जेवर। ९. शोभा या सौंदर्य बढ़ानेवाली कोई चीज या बात। १॰. वेद की एक शाखा। ११. कातंत्र व्याकरण का एक नाम। १२. एक प्रकार का पुराना अस्त्र। १३. चन्द्रमा। १४. मोर की पूँछ। १५. तरकश। तूण। १६. एक प्रकार का संकर राग। (संगीत)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
कलापक  : पुं० [सं० कलाप+कन्] १. हाथी के गले या पैर में बाँधा जानेवाला रस्सा। २. ऐसे चार श्लोकों का वर्ग या समूह जिनका अन्वय एक साथ होता हो। ३. प्राचीन भारत में ऐसा ऋण जो यह कहकर लिया जाता था कि यह कलाप अर्थात् मोर के नाचने के समय अर्थात् वर्षा ऋतु में चुकाया जायगा। ४. दे० ‘कलाप’।
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कलापट्टी  : स्त्री० [पुर्त० कलफेटर] जहाजों की पटरियों को दरजों या संधियों में सन आदि भरने का काम। (लश०)
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कलापिनी  : स्त्री० [सं० कलाप+इनि, ङीष्] १. रात्रि। २. मोर की मादा। मोरनी। ३. नागरमोथा।
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कलापी (पिन्)  : वि० [सं० कलाप+इनि] १. जिसके पास तूणोर या तरकश हो। २. गिरोह या झुंड में रहनेवाला (जीव या प्राणी)। पुं० १. मोर। २. कोयल। ३. बरगद का पेड़।
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