आंशुक-जल/aanshuk-jal

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आंशुक-जल  : पुं० [सं० अंशुक+अण्, आंशुक-जल, कर्म० स०] ताँबे के बरतन में रखा हुआ वह जल जो दिन भर धूप में और रात भर चाँदनी में पड़ा रहा हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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