असंगत/asangata

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असंगत  : वि० [सं० न० त०] [भाव० असंगति] १. जो किसी से मिला, लगा या सटा न हो। २. जिसकी किसी से संगति या मेल न बैठता हो। ३. जो प्रस्तुत विषय के विचार से उचित, उपयुक्त अथवा समीचीन न हो। जैसे—ये सब असंगत बातें हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
असंगति  : स्त्री० [सं० न० त०] १. असंगत होने की अवस्था या भाव। संगति का न होना। २. प्रस्तुत प्रसंग या विषय के अनुरूप, उपयुक्त या सटीक न होने की अवस्था या भाव। (इनकॉन्सिस्टेन्सी) ३. साहित्य में एक अलंकार जिसमें कार्य और कारण का ऐसे विलक्षण रूप से उल्लेख होता है कि दोनों में संगति नहीं बैठती; अर्थात् कारण एक जगह का या एक प्रकार का होता है और कार्य किसी दूसरी जगह का या दूसरे प्रकार का बताया जाता है। जैसे—दृग उरझत टूटत कुटुंम, जुरति चतुर संग प्रीति। परति गाँठ दुर्जन हिये दई नई यह रीति।—बिहारी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
असंगति-प्रदर्शन  : पुं० [सं० ष० त०] तर्क करते समय अंत में कोई ऐसी बात प्रमाणित या सिद्ध कर जाना जो इष्ट या संगत न हो और फलतः जो अनुचित या दूषित हो। अनिष्ट-प्रदर्शन।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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