अनख/anakh

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अनख  : वि० [सं० न० त०] जिसे नख या नाखून न हों। स्त्री० [सं० अन-अक्ष] १. मन में छिपा हुआ हलका क्रोध या गुस्सा। नाराजगी। २. खिन्नता के कारण होने वाली उदासीनता। ३.ईर्ष्या। ४.झंझट। ५.डिठौना।
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अनखना  : अ० [हिं० अनख] १. अप्रसन्न या रूष्ट होना। २. किसी पर क्रोध करना या बिगड़ना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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अनखा  : पुं० [हिं० अनख] काजल की बिन्दी। डिठौना।
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अनखाना  : सं० [हिं० अनख] अप्रसन्न करना। नाराज करना। अ०=अनखना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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अनखाहट  : स्त्री० [हिं० अनखाना+आहट (प्रत्यय)] अनखने की क्रिया या भाव। अनख।
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अनखी  : वि० [हिं० अनख] जल्दी अप्रसन्न या रुष्ट होने अथवा बिगड़नेवाला।
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अनखी (खिन्)  : वि० [सं० न० त०] जिसे नख या नाखून न हों।
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अनखीहाँ  : वि० [हिं० अनख] [स्त्री० अनखौहीं] १. क्रोध से भरा हुआ। कुपित। २. जल्दी बिगड़ जाने वाला। गुस्सैल और चिड़चिड़ा। ३. अनुचित। बुरा। (क्व०)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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