संचना/sanchana

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सचना  : स० [सं० संचयन] १. संचय करना। इकट्ठा करना। २. कार्य का संपादन करना। काम पूरा करना। ३. बनाना। रचना। अ०=सचरना। अ० १. संचित या एकत्र होना। उदा०—मालती मल्लि मलैज लवंगनि सेवाती संग समूह सची है।—देव। २. कार्य का संपादित या पूरा होना। उदा—बहु कुंड शोनित सों भरे, पितु तर्पणादि क्रिया सची।—कबीर। ३. रचा जाना। बनाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सचनावत्  : पुं० [सं० सचन√अन (रक्षा करना)+क्रिय-तुक] परमेश्वर जिसका भजन सब लोग करते हैं।
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