संलक्ष्य क्रम व्यंग्य/sanlakshy kram vyangy

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संलक्ष्य क्रम व्यंग्य  : पुं० [सं० समलक्ष्य,-क्रम-ब०स०,-व्यंग्य-मध्य०स०] साहित्य में, व्यंग्य को दो भेदों में से एक ऐसा व्यंग्य या व्यंजना जिसमें वाच्यार्थ व्यंग्यार्थ की प्राप्ति का क्रम लक्षित हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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