शब्द का अर्थ
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शत :
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वि० [सं० दशत=दश=श] १. सौ। २. असंख्य। पुं० १. सौ का सूचक अंक या संख्या जो इस प्रकार लिखी जाती है—१॰॰। २. एक तरह की सौ चीजों का संग्रह। जैसे—नीति शतक। ३. शताब्दी। शती। ४. विष्णु का एक नाम। वि० जिसके सौ अंश या विभाग हों। |
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शत-किरण :
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पुं० [सं० ब० स०] एक प्रकार की समाधि। |
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शत-कुंडी (डिन्) :
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पुं० [सं० शतकुंड+इन्] एक प्रकार का यज्ञ जिसमें सौ कुण्डों में हवन एक साथ होता है। |
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शत-कुंभ :
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पुं० [सं०] सफेद कनेर। |
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शत-कोटि :
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पुं० [सं० ब० स०] १. सौ करोड़ की संख्या। अर्बद। इन्द्र का वज्र। ३. हीरा। |
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शत-ग्रीव :
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पुं० [सं० ब० स०] एक प्रकार की भूत योनि। |
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शत-चंद्र :
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पुं० [सं० ब० स०] १. एक प्रकार का आभूषण या गहना जिसमें चन्द्रमा की सैकड़ों आकृतियाँ बनी होती हैं। |
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शत-तंत्री :
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स्त्री० [सं० शततंत्र+ङीप्] एक प्रकार की वीणा जिसमें प्रायः सौ तार लगे होते हैं। |
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शत-मयूख :
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पुं० [ब० स०] चन्द्रमा। |
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शत-मान :
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पुं० [सं० शत√मि+ल्युट—अन] १. सोना, चाँदी आदि तौलने का सौ मन का बटखरा या बाट। २. आढ़क नाम की प्राचीन काल की तौल जो प्रायः पौने चार सेर की होती थी। ३. रूपामक्खी नामक उपधातु। वि० जो तौल में सौ मान हो। |
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शत-लोचन :
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वि० [सं० ब० स०] जिसके सौ नेत्र हों। पुं० १. स्कन्द का एक अनुचर। २. एक गोत्र-प्रवर्तक ऋषि। |
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शत-वल्ली :
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स्त्री० [सं० ब० स०] १. नीली दूब। २. काकोली। |
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शत-वार्षिक :
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वि० [सं० शतवर्ष+ठर्-इक] १. सौ सौ वर्षों के उपरान्त होनेवाला। २. जिसकी अवधि सौ वर्षों की हो। |
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शत-वार्षिकी :
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स्त्री० [सं०] किसी पुरुष,संस्था आदि के जन्म के ठीक सौ वर्ष बाद मनाया जानेवाला उत्सव (सेन्टेनरी)। जैसे—रवीन्द्र शत-वार्षिकी। |
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शत-वीर्या :
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स्त्री० [सं० ब० स०] १. सफेद दूब। २. सतावर। ३. सफेद मूसली। ४. मुनक्का। ५. किशमिश। |
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शतकुंभ :
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पुं० [सं० ब० स०] १. एक पर्वत जिसके संबंध में प्रसिद्ध है कि वहाँ सोना मिलता है। २. सोना। ३. सफेद कनेर। |
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शतक्रतु :
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पुं० [सं० ब० स०] इन्द्र। वि० जिसमें सौ यज्ञ किये हों। |
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शतखंड :
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पुं० [सं० ब० स०] १. सोना। स्वर्ण। २. सोने की बनी हुई कोई चीज। स्वर्ण-वस्तु। |
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शतगु :
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वि० [सं० ब० स०] जिसके पास सौ गाएँ हों। |
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शतगुण :
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वि० [सं० कर्म० स०] सौ गुना। |
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शतगुणित :
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भू० कृ० [सं० शतगुण+इतच्] सौगुना किया हुआ। |
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शतघामा :
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पुं० [सं० ब० स०] विष्णु का एक नाम। |
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शतघ्न :
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पुं० [सं०] शिव। |
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शतघ्नी :
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स्त्री० [सं० शत√हन् (मारना)+टक्+ङीष्] १. एक तरह का प्राचीन क्षेप्यास्त्र। २. गले में होनेवाली एक प्रकार की घातक गाँठ (रोग)। |
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शतच्छद :
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पुं० [सं० ब० स०] १. सौ पत्तियोंवाला कमल। शतदल। कमल। २. कठफोड़वा या काठ-ठोका नामक पक्षी। |
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शतजटा :
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स्त्री० [सं० ब० स०] सतावर। शतमूली। |
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शतजित् :
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पुं० [सं० शत्√जि (जीतना)+क्विप्, तुक्] १. विष्णु का एक नाम। २. एक प्रकार का यज्ञ। |
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शतजिह्न :
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पुं० [सं० ब० स०] शिव। महादेव। |
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शततारका :
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स्त्री० [सं० ब० स०] शतभिषा नक्षत्र। |
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शतदल :
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वि० [ब० स०] जिसके सौ दल हों। सौ दलोंवाला। पुं० कमल। |
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शतदला :
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स्त्री० [सं० शतदल+टाप्] सेवती (फूल)। |
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शतद्रु :
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स्त्री० [सं० सत्√द्रु (बहना)+कु] १. शतदल नदी का प्राचीन नाम। २. गंगा नदी। |
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शतधन्वा :
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पुं० [सं० ब० स०] एक योद्धा जिसने सत्राजित् को मारा था, और इसीलिए जो श्रीकृष्ण के हाथों मारा गया था। |
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शतधा :
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स्त्री० [सं० शत+धा] दूब। वि० १. सौ गुना। २. सौ तरह का। अव्य० सैकड़ों प्रकार से। |
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शतधार :
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वि० [ब० स०] १. सौ धाराओंवाला। २. (अस्त्र) जिसकी सौ धारें हों। |
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शतधृति :
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पुं० [सं० ब० स०] १. इन्द्र। २. ब्रह्मा। ३. स्वर्ग। |
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शतपति :
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पुं० [सं० ब० स०] सौ मनुष्यों या सैनिकों का सरदार। |
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शतपत्र :
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वि० [सं० ब० स०] १. सौ दलों या पत्तोंवाला। २. सौ पंखों या परोंवाला। पुं० १. कमल। २. सेवती। ३. मोर। मयूर। ४. कठ-फोड़वा नामक पक्षी। ५. सारस। ६. मैना। ७. बृहस्पति। |
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शतपत्रा :
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स्त्री० [सं० शतपत्र+टाप्] १. स्त्री। २. दूब। |
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शतपत्री :
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स्त्री० [सं० शतपत्र+ङीप्] १. सेवती। २. गुलाब का केसर। |
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शतपथ :
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वि० [सं० ब० स०] १. बहुत से मार्गोंवाला। २. बहुत सी शाखाओंवाला। पुं० [सं० ब० स० अच् +समा] यजुर्वेद का एक ब्राह्मण जिसके कर्ता याज्ञवल्क्य माने जाते हैं। |
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शतपथिक :
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वि० [सं० शतपथ+ठन्-इक] १. बहुत से मतों का अनुयायी। २. शतपथ ब्राह्मण का अनुयायी या ज्ञाता। |
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शतपद :
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वि० [सं० ब० स०] [स्त्री० शतपदी] सौ परोंवाला। पुं० [स्त्री० शतपदी] १. गाजर। २. च्यूँटी। |
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शतपद्य :
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पुं० [सं० मध्यम० स०] सफेद कमल। |
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शतपर्वा :
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स्त्री० [सं० ब० स०] १. बाँस। वंश। २. गन्ना। ३. दूब। ४. बच। ५. कुटकी। ६. सुगंधित। द्रव्य। कुरेमू का साग। ८. भार्गव ऋषि की पत्नी का नाम। |
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शतपाद :
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वि० पुं० [ब० स०]=शतपद। |
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शतपादिका :
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स्त्री० [सं० शतपाद+कप्+टाप्, इत्व] १. काकोली नामक अष्टवर्गीय ओषधि। २. कनखजूरा। गोजर। |
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शतपुत्री :
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स्त्री० [सं० ब० स०+ङीप्] १. सतपुतिया। तरोई। २. शतावर। |
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शतपुष्प :
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पुं० [सं० ब० स०] साठी धान्य। |
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शतपुष्पा :
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स्त्री० [सं० शतपुष्प+टाप्] १. सोआ नाम का साग। ३. सौंफ। ३. गवेधुक। |
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शतफल :
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पुं० [सं० ब० स०] बाँस। |
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शतबला :
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स्त्री० [सं० ब० स०] एक नदी (महाभारत)। |
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शतबाहु :
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पुं० [सं० ब० स०] १. सुश्रुत के अनुसार एक प्रकार का कीड़ा। २. पुराणानुसार एक असुर। ३. बौद्धों के अनुसार मार का एक पुत्र। |
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शतभिषा :
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स्त्री० [सं० शतभिषा+टाप्] २७ नक्षत्रों में से चौबीसवाँ नक्षत्र जिसमें १॰॰ तारे हैं। शत-तारका। |
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शतभीरू :
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पुं० [सं० ब० स०] मल्लिका। चमेली। |
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शतमख :
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पुं० [सं० ब० स०] १. इन्द्र। शतक्रतु। २. उल्लू। |
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शतमन्यु :
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वि० [सं० ब० स०] १. क्रोधी। गुस्सावर। २. उत्साही। पुं० १. इन्द्र। २. उल्लू। |
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शतमूला :
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स्त्री० [सं० ब० स०+टाप्] १. बड़ी सतावरी। २. बच। ३. नीली दूब। |
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शतमूली :
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स्त्री० [सं० शतमूल—ङीष्] १. सतावरी नाम की ओषधि। २. मूसली नामक ओषधि। ३. बच। |
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शतरंज :
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पुं० [फा० मि० सं० चतुरंग] एक प्रकार का प्रसिद्ध खेल जो चौसठ खानों की बिसात पर ३२ गोटियों से खेला जाता है। विशेष-सब मोहरें दो रंगों के होते है। प्रत्येक रंग में 8 सिपाही या पैदल, २ हाथी, २ घोड़े, २ ऊँट, १ बादशाह तथा १ वजीर होते हैं। |
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शतरंजबाज :
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पुं० [फा० शतरंज+फा० बाज] [भाव० शतरंदजबाजी] १. शतरंज खेलने का शौकीन। २. शतरंज के खेल का बहुत बड़ा खिलाड़ी। |
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शतरंजबाजी :
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स्त्री० [फा०] शतरंज खेलना। |
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शतरंजी :
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स्त्री० [फा०] १. शतरंज का खिलाड़ी। २. शतरंज खेलने की बिसात। ३. ऐसी चादर या दरी जिसमें रंग-बिरंगे खाने बने हुए हों। ४. मिस्सी की रोटी। |
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शतरात्र :
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पुं० [सं० ब० स०] सौ रातों तक बराबर चलता रहनेवाला यज्ञ। |
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शतरुद्रिय :
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स्त्री० [सं०शतरुद्र+घ-ईय] १. यज्ञ की हवि। २. यजुर्वेद का एक अंग या अध्याय। |
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शतरुद्री :
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स्त्री० [सं० शतरुद्र+ङीष्]=शतरुद्रिय। |
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शतरूद्र :
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पुं० [सं० ब० स०] १. रुद्र का एक रुप जिसके सौ मुँह कहे गये हैं। २. एक शक्ति (शैव)। |
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शतरूपा :
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स्त्री० [सं० ब० स०+टाप्] १. ब्रह्मा की पत्नी तथा माता। २. स्वयंभुव मनु की पत्नी तथा माता। |
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शतवादन :
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पुं० [सं० ष० त०] सौ बाजों का एक साथ बजना। |
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शतशः :
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अव्य० [सं० शत+शस्] सैकड़ों प्रकार से बहुत तरह से। |
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शतशीर्ष :
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पुं० [सं० ब० स०] १. विष्णु का एक नाम। २. एक प्रकार का अभिमंत्रित अस्त्र। |
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शतह्रदा :
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स्त्री० [सं० ब० स०]+टाप्] १. विद्युत। बिजली। २. वज्र। ३. दक्ष की एक कन्या जो बाहुपुत्र को ब्याही थी। ४.विराध नामक राक्षस की माता। |
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शता :
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स्त्री० [सं० शत+टाप्] सफेद मूसली। |
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शताक्ष :
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वि० [सं० ब० स०] [स्त्री० शताक्षी] की आँखोंवाला। पुं० पुराणानुसार एक दानव। |
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शताक्षी :
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स्त्री० [सं० शताक्ष+ङीष्] १. पार्वती। २. दुर्गा। ३. रात्रि। रात। ४. सौंफ। |
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शतांग :
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वि० [सं० ब० स०] जिसके सौ अंग हों। पुं० १. रथ। २. तिनिश वृक्ष। ३. एक राक्षस। |
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शतानक :
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पुं० [सं० ब० स०] श्मशान। मरघट। |
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शतानंद :
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पुं० [सं० शतआ√नन्द+अण्] १. ब्रह्मा। २. विष्णु। ३. विष्णु का रथ। ४. श्रीकृष्ण। ५. गौतम ऋषि। |
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समानार्थी शब्द-
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शतानन :
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पुं० [सं० ब० स०] बेल। श्रीफल। वि० सौ मुहोंवाला। |
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शतानना :
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स्त्री० [सं० शतानन+टाप्] एक देवी का नाम। |
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शतानीक :
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वि० [सं० ब० स०] (वृद्ध) जिसकी अवस्था सौ या अधिक वर्षों की हो। पुं० १. द्रौपदी के गर्भ से उत्पन्न नकुल का एक पुत्र। २. व्यास के एक शिष्य। ३. जनमेजय के पुत्र का नाम। |
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शताब्द :
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वि० [सं० ब० स०] सौ वर्षवाला। पुं० शताब्दी। |
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शताब्दी :
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स्त्री० [सं० शताब्द+ङीष्] १. सौ वर्षों की अवधि की सूचक संज्ञा। २. किसी सन या संवत् की किसी इकाई से सैकड़े तक का समय। शती (सेन्चुरी)। वि० सौ वर्षों के उपरान्त होनेवाला। जैसे—शताब्दी समारोह। |
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शतायु (स्) :
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वि० [सं० ब० स०] १॰॰ वर्ष की अवस्थावाला। |
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समानार्थी शब्द-
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शतायुध :
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वि० [सं० ब० स०] जो सौ अस्त्र धारण करता हो। सौ अस्त्रों वाला। |
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शतार :
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पुं० [सं० ब० स०] १. वज्र। २. सुदर्शन चक्र। |
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शतारु :
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पुं० [सं० ब० स०] एक प्रकार का कोढ़ जिसमें खाल पर लाल, काली और दाहयुक्त फुँसिया हो जाती हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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शतावधान :
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पुं० [ब० स०] वह व्यक्ति जो सौ काम एक साथ कर सकता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शतावर :
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पुं० [सं० शत-आ√वृ (वरण करना)+अच्, शतावरी] सफेद मूसली। सतावर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शतावरी :
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स्त्री० [सं० शत-आ√वु+अच्+ङीष्] १. शतमूली। शतावर। सफेद मूसली। २. कचूर। ३. इन्द्राणी। शची। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शतावर्त :
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पुं० [सं० ब० स०] १. विष्णु। २. शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शतांश :
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पुं० [सं० कर्म० स०] किसी चीज के सौ बराबर हिस्सों में से कोई एक। सौवां हिस्सा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शताशनि :
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पुं० [सं० ब० स०] वज्र। |
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समानार्थी शब्द-
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शतिक :
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वि० [सं० शत+ठन्—इक] १. शत अर्थात् सौ संबंधी। सौ का। २. प्रति सौ के हिसाब से लगनेवाला (कर)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शती :
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स्त्री० [सं० सत+इनि, शतिन्] १. सौ का समूह। सैकड़ा। जैसे—दुर्गा शप्तशती। २. दे० ‘शताब्दी’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शतोदर :
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पुं० [सं० ब० स०] शिव का एक नाम। २. शिव का एक अनुचर या गण। ३. एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शतोदरी :
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स्त्री० [सं० शतोदर+ङीप्] कार्तिकेय की एक मातृका। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शत्रु :
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पुं० [सं०] १. दो पक्षों में से हर एक जिनमें एक दूसरे के प्रति दुर्भावना हो। २. वह जो अपना अथवा दूसरे का घोर अहित चाहता हो। ३. वह जो किसी के नाश के लिए उतारू हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शत्रुघ्न :
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पुं० [सं० शत्रु√हन् (मारना)+क] सुमित्रा के गर्भ से उत्पन्न राजा दशरथ के चतुर्थ पुत्र। वि० शत्रुओं को मार डालनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शत्रुघ्नी :
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स्त्री० [सं० शत्रुघ्न+ङीष्] हथियार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शत्रुंजय :
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पुं० [सं० शत्रु√जि (जीतना)+खच्-मुम्] १. काठियावाड़ में स्थित एक प्रसिद्ध पर्वत। विमलाद्रि। २. परमेश्वर। वि० शत्रु को जीतनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शत्रुजित :
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वि० [सं० शत्रु√जि (जीतना)+क्विप्, तुक्] शत्रु को जीतनेवाला। पुं० शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शत्रुता :
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स्त्री० [सं० शत्रु+तल्+टाप्] द्वेष भाव से उत्पन्न वह मनोभावना जिससे किसी को कष्ट या हानि पहुँचाने की प्रवृत्ति होती है। विशेष-वैर और शत्रुता में मुख्य अंतर यह है कि वैर का स्वरूप अपेक्षया अधिक उग्र या तीव्र होता है और सदा जाग्रत रहता है। वैर जातिगत या स्वाभाविक भी हो सकता है,पर शत्रुता में ये बातें या तो होती ही नहीं या कम होती हैं। नेवले और साँपों में वैर ही होता है शत्रुता नहीं। इसके विपरीत हम किसी अवसर पर अज्ञान या मूर्खतावश अपने साथ शत्रुता तो कर सकते हैं परन्तु वैर नहीं कर सकते। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शत्रुताई :
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स्त्री०=शत्रुता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शत्रुत्व :
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पुं० [सं० शत्रु+त्व] शत्रुता। दुश्मनी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शत्रुदमन :
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वि० [सं० शत्रु√गम् (दमन करना)+ल्युट-अन] शत्रुओं का दमन या नाश करने-वाला। पुं० दशरथ के पुत्र शत्रुघ्न। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शत्रुधारी :
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पुं० [सं० शत्रु√हन् (मारना)+णिनि-कुत्व=घ, शत्रु-घातिन] शत्रुघ्न के पुत्र का नाम। वि० शत्रु का नाश करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शत्रुमर्द्दन :
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पुं० [सं० शत्रु√मृद् (मर्दन करना)+ल्यु-अन] शत्रुघ्न का एक नाम। वि० शत्रुओं का मर्दन करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शत्रुसाल :
|
वि० [सं० शत्रु+हिं० सालना] शत्रु के हृदय में शूल अर्थात् कष्ट और भय उत्पन्न करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शत्रुहंसा (तृ) :
|
वि० [सं० ष० त०] शत्रु का नाश करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शत्रुहा :
|
वि० [सं० शत्रु√हन् (मारना)+क्विप्, दीर्घ, न-लोप] शत्रु का नाश करनेवाला। पुं० शत्रुघ्न। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
शत्वरी :
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स्त्री० [सं० शत्+वरच्+ङीष्] रात्रि। रात। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |