विक्रय/vikray

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विक्रय  : पुं० [सं० वि√क्री (बेचना)+अच्] दाम लेकर कोई चीज देना। दाम लेकर किसी चीज का स्वत्वाधिकार दूसरे को देना। बेचना। ‘क्रय’ का विपर्याय। पद—क्रय-विक्रय।
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विक्रय-कर  : पुं० [ष० त०] वह राजकीय कर चीजों के विक्रय के समय खरीदने वाले से लिया जाता हैं। बिक्रीकर (सेल-टैक्स)।
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विक्रय-पंजी  : स्त्री० [सं० ष० त०] वह पंजी (बही) जिसमें व्यापारी नित्य अपनी बेची हुई चीजों के नाम, मूल्य आदि लिखते है (सेल्स जर्नल)।
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विक्रय-पत्र  : पुं० [सं० ष० त०] वह पत्र या लेख्य जिसमें यह लिखा जाता है कि इतना मूल्य लेकर अमुक व्यक्ति ने अमुक वस्तु दूसरे व्यक्ति के हाथ बेची है। बैनामा। (सेल-डीड)।
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विक्रय-लेख  : पुं० [सं०] विक्रय-पत्र।
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विक्रयक  : वि० [सं० वि√क्री+ण्वुल्-अक] बेचनेवाला। विक्रेता।
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विक्रयण  : पुं० [सं० वि√क्री (बेचना)+ल्युट-अन] बेचने की क्रिया। विक्रय। बिक्री।
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विक्रयिक  : पुं०=विक्रेता।
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विक्रयी (यिन्)  : पुं०=विक्रेता।
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विक्रय्य  : वि० [सं० विक्रय+यत्] जो बेचा जाने को हो।
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