भद्रक/bhadrak

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भद्रक  : पुं० [सं० भद्र+कन्] १. एक प्राचीन देश का नाम। २. चना,मूँग आदि अनाज। ३. नागरमोथा। ४. देवदार। ५. एक प्रकार का वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में ऽ॥ ऽ।ऽ ॥। ऽ।ऽ ॥। ऽ।ऽ ।॥ ऽ (भ र न र न र न ग) और ४, ६, ६, ६, पर यति होती है। ६. कोई अच्छी बात। उत्तम गुण। उदाहरण—क्या कहूँ मिर्च है अद्रक है,इस मछन्दर में कुछ भी भद्रक हैं।—मीर। ७. दृढ़ता। मजबूती। जैसे—तुम्हारी बात में कुछ भी भद्रक नहीं है। उदाहरण—मुतलक तेरी बात में नहीं है भद्रक।—रंगीन।
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भद्रकंट  : पुं० [सं० ब० स०] गोक्षुर। गोखरू।
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भद्रकाय  : पुं० [सं० ब० स०] हरिवंश के अनुसार श्रीकृष्ण के एक पुत्र का नाम।
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भद्रकार  : वि० [सं० भद्र√कृ (करना)+अण्, उप० स०] मंगल या कल्याण करनेवाला। पुं० महाभारत के अनुसार एक प्राचीन देश।
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भद्रकारक  : वि० [सं० ष० त०] मंगलकारक। पुं० एक प्राचीन देश। (महाभारत)
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भद्रकाली  : स्त्री० [सं० कर्म० स०] १. दुर्गा देवी की एक १६ भुजाओं वाली मूर्ति। २. कात्यायिनी। ३. कार्तिकेय की एक मातृका। ४. गंद-प्रसारिणी लता। ५. नागरमोथा।
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भद्रकाशी  : स्त्री० [सं० भद्र√काश् (प्रकाशित होना)+अच्,+ङीष्] भद्र-मुस्ता। नागरमोथा।
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