शब्द का अर्थ
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बार :
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पुं० [सं० दवार] १. द्वार। दरवाजा। उदा०—हस्ति सिंधली बाँधे बारा।—जायसी। 2. आश्रय लेने की जगह। ठौर-ठिकाना। ३. राज-सभा दरबार। स्त्री० [सं० वार या वेला ?] १. काल। वक्त। समय। २. देर। बिलंब। उदा०—भइ बड़ि बार जाइ बलि भैया।—सूर। कि० प्र०—करना। लगाना—होना। पुं० [स० वारि] जल। पानी। स्त्री० [फा०] १. दफा। मरतबा। जैसे—पहली बार, दूसरी बार। पद—बार बार=रह-रहकर कुछ देर बाद। कई फिर। फिरफिर। पुनः। पुं० [सं० भार से फा०] १. बोझ। भार। कि० प्र०—उठाना।—रखना।—लादना। २. कहीं भेजने के लिए गाड़ी, जहाज आदि पर लादा जानेवाला माल। मुहा०—बार करना=जहाज पर माल लादना। (लश०) ३. वृक्षों आदि की पैदावार या फसल। स्त्री, [सं० वाट] १. किसी स्थान को घेरने के लिए बनाया हुआ घेरा। बाढ़। २. किनारा। छोर। सिरा। ३. हथियारों की तेज धार। बाढ़। ४. दे० ‘बारी’। पुं० [सं० बाल] बालक। लड़का। पुं०=बाल (सिर या शरीर के)। स्त्री०=बाला (युवती स्त्री)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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बार-बधू :
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स्त्री० [सं० वारवधू] वेश्या। |
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बार-बधूटी :
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स्त्री० [सं० वारवधूटी] वेश्या। |
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बार-बरदार :
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वि० [फा०] [भाव० बारबरदारी] भार उठानेवाला। बोझ ढोनेवाला। |
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बार-बरदारी :
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स्त्री० [फा०] १. माल या सामान ढोने की क्रिया या भाव। २. उक्त के बदले में मिलनेवाला पारिश्रमिक या मजदूरी। |
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बार-बाँटाई :
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स्त्री० [फा० बार=बोझ+हिं० बाँधना] दाये जाने से पहले कटी हुई फसल का होनेवला बँटवारा। |
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बार-मुखी :
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स्त्री० [सं० वारमुख्या] वेश्या। |
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बार-रुकाई :
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स्त्री० [हिं० बार+रोकना] १. विवाह की एक रसम जिसमें लड़कीवाले के घर की स्त्रियाँ दरवाजे पर वर को रोककर कुछ नेग देती हैं। |
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बारक :
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अव्य० [हिं० बार+एक] एक दफा। एक बार। स्त्री०=बैरक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बारककंत :
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पुं० [देश०] एक प्रकार का पौधा जो साँप का विष दूर करनेवाला माना जाता है। |
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बारगाह :
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स्त्री० [फा०] १. ड्योढ़ी। २. खेमा। तंबू। ३. राजाओं आदि का दरबार। कचहरी। ४. राजमहल। |
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बारगी :
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वि० [फा० बारगाह] लड़ाई का एक ढंग या प्रकार। पुं० [फा०] अश्व। घोड़ा। |
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बारगीर :
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वि० [फा०] बोझ ढोनेवाला। भारवाहक। पुं० १. घोड़ों के लिए घास चारा काटकर लाने और सईस की सहायता करनेवाला घसियारा। २. मध्ययुग में वह सिपाही या सैनिक जो किसी राजा या सरदार के घोड़े पर चढ़कर युद्ध आदि करता था। ३. घोड़ा। ४. ऊँट। ५. बैल। |
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बारजा :
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पुं० [हिं० वार=द्वार+जा=जगह] १. मकान के सामने के दरवाजे के ऊपर पाटकर बढ़ाया हुआ छज्जा। बरामदा। २. कमरे के आगे का छोटा दालान। ३. छत के ऊपर का कमरा। अटारी। कोठा। |
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बारण :
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पुं०=वारण। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बारता :
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स्त्री०=वार्ता। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बारतिय :
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स्त्री० [हिं० बार+तिय] वेश्या। |
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बारतुंडी :
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स्त्री० [ब० स०] आलू का पेड़। |
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बारदाना :
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पुं० [फा० बारदानः] १. वह चीज जिसमें बोझ विशेषतः व्यापार के सामान बाँधे या रखे जाते हैं। जैसे—खुरजी, बोरा आदि। २. वे टाट आदि जिसमें बाँधकर माल के बड़े-बड़े गट्ठर बाहर भेजे जाते हैं। ३. फौज के खाने-पीने की सामग्री। रसद। ४. टूटी-फूटी चीजें या सामान अंगड़-खंगड़। |
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बारदार :
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वि० [फा०] १. जिस पर किसी प्रकार का भार या बोज हो। २. (वृक्ष) जो फलों से भरा या लदा हो। ३. (स्त्री) जिसे गर्भ हो |
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बारन :
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पुं० [सं० वारण] हाथी। पुं०=वारण। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बारना :
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अ० [सं० वारण] १. मना करना। २. बाधा डालना। स०=बालना (जलाना) स०=वारना (निछावर करना)। |
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बारनिश :
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स्त्री०=वारनिश। |
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बारंबार :
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अव्य० [सं० वारंवार] अनेक, कई या बहुत बार। पुनः पुनः। |
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बारवा :
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स्त्री० [देश०] एक रागिनी जिसे कुछ लोग श्री राग की पुत्रवधू मानते हैं। |
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बारह :
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वि० [सं० द्रादश, प्रा० बारस, अप० बारह] [वि० बारहवीं] जो संख्या में दस और दो हो। पुं० उक्त की सूचक संख्या जो इस प्रकार लिखी जाती है।—१२। |
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बारह टोपी :
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स्त्री० [हि०] १. मध्ययुग में यूरोप के बारह प्रमुख राष्ट्र जो अपने टोपों की विभिन्नता के कारण प्रसिद्ध थे। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बारह पत्थर :
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पुं० [हिं० बारह+पत्थर] १. वे बारह पत्थर जो पहिले छावनी की सरहद पर गाड़े जाते थे। २. सैनिक शिविर। छावनी। |
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बारह बाट :
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पुं० [हि०] १. इधर-उधर फैले हुए बहुत से मार्ग। जैसे—बारहबाट अठारह पैंड़। २. व्यर्थ का प्रसार या फैलाव। ३. किसी विषय में लोगों के ऐसे परस्पर विरोधी मत या विचार जो एकता, दृढ़ता आदि में बाधक हों। वि० १. छिन्न-भिन्न। तितर-बितर। २. नष्ट-भ्रष्ट। बरबाद। मुहावरा—बारह बाट करना या घालना=तितर-बितर या छिन्न-भिन्न करना। व्यर्थ इधर-उधर करके नष्ट करना। बारहबाट जाना या होना=(क) तितर-बितर होना। छिन्न-भिन्न होना। (ख) नष्ट-भ्रष्ट होना। बरबाद होना। ३. ऐसा निरर्थक जो घातक भी सिद्ध हो या हो सकता हो। |
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बारह-खड़ी :
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स्त्री० [सं० द्वादश+अक्षरी] १. अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं और अः इन बारह स्वरों की मात्राएँ क्रमात् प्रत्येक व्यंजन में लगाकर बोलने या लिखने की क्रिया। २. वह रूप जिसमें सभी व्यजनों में उक्त स्वर लगाकर दिखाये गये हों। |
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बारह-बाना :
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वि० [हि०] १. सूर्य के समान चमक-दमकवाला। २. खरा और चोखा। (सोना)। |
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बारह-बानी :
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वि० [सं० द्वादश (आदित्य)+वर्ण, पा० बारस, वण्ण] १. सूर्य के समान चमक-दमकवाला। बहुत चमकीला। २. (सोना) बिलकुल खरा चोखा या बढ़िया। ३. जिसमें कोई खोट, दोष या विकार न हो। निर्मल और स्वच्छ। ४. जिसमें कोई कसर या त्रुटि न हो। ठीक और पक्का। स्त्री० १. सूर्य की सी चमक। २. आभा। चमक दीप्ति। ३. बारह बाना सोना। |
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बारह-वफात :
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पुं० [हिं० बारह+अ० वफात] अरबी महीने रवी-उल-अव्वल की वे बारह तिथियाँ जिनमें मुसलमान के विश्वास के अनुसार मुहम्मद साहब बीमार रहकर अन्त में पर-लोकवासी हुए थे। |
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बारहठ :
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पुं० [सं० द्वारस्थ] राजपूताने केचारणों का एक भेद या वर्ग। |
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बारहबान :
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पुं० [सं० द्वादश, वर्ण] [वि० बारहबानी] एक प्रकार का खरा और बढ़िया सोना। पुं० [हिं० बारह+बाना] मध्ययुगीन भारत में अच्छे सैनिक के पास रहनेवाले ये बारह हथियार-कटार, कमान, चक्र, जमदाढ़, तमंचा, तलवार, बंदूक, बकतह, बाँस, बिछुआ और साँग। |
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बारहमासा :
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पुं०=[हिं० बारह+मास] वह पद्य या गीत जिसमें बारह महीनों की प्राकृतिक विशेषताओं का वर्णन किसी विरही या विरहनी के मुँह से कराया गया हो। |
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बारहमासी :
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वि० [हिं० बारह+मास] १. बारहों मास होनेवाला। २. वर्ष के बारहों महीनों में से अलग-अलग प्रत्येक भाग से सम्बन्ध रखनेवाला। जैसे—बारह-मासी। चित्रावली=ऐसी चित्रावली जिसमें चैत, वैशाख, जेठ आदि महीनों की प्राकृतिक स्थिति और उनके ध्यान अर्थात् कल्पित स्वरूपों के अलग-अलग चित्र हों। ३. सब ऋतुओं में फलने-फूलने वाला। ४. (काम या बात) जो बराबर या सदा हुआ करे। |
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बारहरदी :
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स्त्री० [हिं० बारह+फा० दर=दरवाजा] किसी इमारत का ऊपरवाला वह कमरा जिसमें चारों ओर तीन तीन दरवाजे अर्थात् कुल मिलाकर बारह दरवाजे हों। |
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बारहवाँ :
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वि० [हिं० बारह] [स्त्री० बारहवीँ] संख्या में बारह के स्थान पर पड़नेवाला। |
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बारहसिंगा :
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पुं० [हिं० बारह+सींग] एक प्रकार का बड़ा हिरन जो तीन चार फुट और सात आठ फुट लंबा होता है। नर के सीगों में कई शाखाएँ निकलती है। इसी से इसे बराहसिंगा कहते हैं। झिंकार। साल-साँभर। |
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बारहाँ :
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वि० [हिं० बारह] जो बारह (अर्थात् बहुत से) लोगों में सबसे प्रबल हो जैसे—बारहाँ गुंडा, बरहाँ मिस्तरी। वि० बहादुर। वीर। वि०=बाहहवाँ। |
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बारहा :
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अव्य० [फा०] अनेक बार। प्रायः बहुधा। |
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बारही :
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स्त्री०=बरही। (जन्म से बारहवाँ दिन)। |
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बारही :
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स्त्री०=वाराही। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बारहों :
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पुं० [हिं० बारह] १. किसी मनुष्य के मरने के दिन से बारहवाँ दिन। बारहवाँ। द्वादशाह। २. बरही (जन्म से बारहवां दिन)। |
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बाराँ :
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वि० [फा०] बरसनेवाला। पुं० बरसनेवाला पानी। वर्षा। मेंह। |
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बारा :
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वि० [सं० बाल] छोटी अवस्थावाला। अल्पवस्यक ‘प्रौढ़’ या वयस्क का विपर्याय। जैसे—नन्हा बारा बच्चा। पद—बारे ते=बाल्यावस्था से ही। छोटे पन से ही। पुं० बच्चा। बालक। लड़का। पुं० [हिं० बाढ़=ऊंचा किनारा] १. वह कंगनी जो बेलन के सिरे पर लगी रहती है और जिसके फिरने से बेलन फिरता है २. जंते से तार खीचने का काम। पुं० [हिं० बारह] मृतक के बारहवें दिन होनेवाला भोज। पुं० [हि० वार०] वह दूध जो चरवाहा चौपायों को चराने के बदले में आठवें दिन पाता है। पुं० [?] १. वह आदमी जो कुएँ पर खड़ा होकर भरकर निकले हुए चरसे या मोट का पानी उलटकर गिराता है। २. वह गीत जो चरस या मोट खींचनेवाला उक्त समय पर गाता है। |
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बारा-जोरी :
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क्रि० वि०=बर-जोरी। (बल-पूर्वक)। |
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बारात :
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स्त्री०=बरात। |
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बाराती :
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पुं०=बराती। |
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बारादरी :
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स्त्री०=‘बारहदरी’। |
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बारानी :
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वि० [फा०] वर्षा संबंधी। बरसाती। स्त्री० १. ऐसी भूमि जिसकी सिंचाई केवल वर्षा के जल से होती हो। २. उक्त प्रकार की सिंचाई से अर्थात् वर्षा के जल में होनेवाली फसल ३. दे० ‘बरसाती’ (ओढ़ने का कपड़ा)। |
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बाराह :
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पुं०=वाराह (सूअर)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बाराही-कंद :
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स्त्री०=वाराही कंद। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बारि :
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पुं०=वारि। स्त्री०=बारी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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बारिक :
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पुं० [अं० बैरक] ऐसे बँगलों या मकानों की श्रेणी या समूह जिनमें फौज के सिपाही रहते हों। छावनी। |
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बारिगर :
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पुं० [हिं० बारी+फा० गर] हथियारों पर बाढ़ या सान रखनेवाला। सिकलीगर। |
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बारिगह :
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स्त्री०=बारगाह। उदाहरण—चिरउर सौहँ बारिगह तानी।—जायसी। |
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बारिज :
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पुं०=वारिज। |
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बारिद :
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पुं०=वारिद। |
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बारिधर :
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पुं० [सं० वारिधर] १. बादल। मेघ। २. एक वर्णवृत्त। |
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बारिधि :
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पुं०=वारिधि। |
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बारिवाह :
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पुं० [सं० वारि+वाह०] बादल। |
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बारिश :
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स्त्री० [फा०] [वि० बारिशी] १. वर्षा। वृष्टि। २. वर्षा ऋतु। बरसात। |
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बारिस्टर :
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पुं०=बैरिस्टर। |
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बारी :
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स्त्री० [सं० अव्वार] १. किनारा। तट। २. किसी प्रकार के विस्तार का अंतिम सिरा। किनारा। हाशिया। ३. खेतों, बगीचों आदि के चारों ओर या किसी पार्श्व में खड़ा किया जानेवाला घेरा। बाढ़। ४. किसी प्रकार का उठा हुआ किनारा या घेरा। अवँठ। जैसे—कटोरी या थाली की बारी। ५. किसी प्रकार का पैना किनारा या सिरा। धार। बाढ़। स्त्री० [हिं० वाटी, वाटिका] १. वह स्थान जहाँ बहुत से पेड़ लगाये गये हों। जैसे—आम की बारी। २. उपवन। बगीचा। ३. बगीचे का माली। बागवान। उदाहरण—बारी आइ पुकारै, लिहै सबै कर पूँछ—जायसी। ४. खेतों बगीचों आदि में अलग किया हुआ विभाग। क्यारी। ५. घर। मकान। (दे० बाड़ी) ६. खिड़की। झरोखा। ७. जहाजों के ठहरने की जगह। बंदरगाह। ८. रास्ते में बिखरे हुए काँटे या झाड़-झंखाड़। (पालकी ढोनेवाले कहार) पुं० हिदुओं में दोने, पत्तले आदि बनानेवाली एक जाति। स्त्री० [फा० बारी] १. थोड़े-थोड़े समय या रह-रह कर होनेवाला कामों के संबंध में क्रम से हर बार। आनेवाला अवस या समय। पारी। जैसे—(क) पहले लड़के के बाद दूसरे लड़के की और दूसरे के बाद तीसरे की बारी आयगी। क्रि० प्र०—आना।—पड़ना।—बंधना। २. उक्त प्रकार के क्रम में वह आदमी या चीज जिसे नियमतः अवसर मिलता हो, जिसे काम करना पड़ता हो या जिसका उपयोग होता हो। जैसे—आज सिपाही की पहरा देने की बारी है वह बीमार है। पद—बारी-बारी से=कालक्रम में एक के पीछे एक करके। अपनी बारी आने पर। समय के अंतर पर। जैसे—सब लोग एक साथ मत बोलो बारी-बारी से बोलो। स्त्री० दे० ‘बाली’। वि० हिं० ‘बारा’ का स्त्री। पुं० [अ०] ईश्वर। परमात्मा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बारीक :
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वि० [फा०] [भाव० बारीकी] १. जिसका तल बहुत पतला हो। बहुत ही थोड़ी मोटाईवाला। महीन। जैसे—बारीक मलमल। २. जिसका घेरा या मोटाई बहुत ही कम हो। पतला। जैसे—बारीक तार बारीक सूत। ३. जिसके अणु या कण बहुत ही छोटे या सूक्ष्म हों। जैसे—बारीक आटा। ४. (विचार) जिसमें भावों के बहुत ही सूक्ष्म अन्तर हों, और इसलिए जो सहसा सबकी समझ में न आता हो। जैसे—पारीक फरक, बारीक बात। ५. गूढ़। ६. जटिल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बारीका :
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पुं० [फा० बारीक] चित्रकारी में रेखाएँ खींचने की एक तरह की महीन कलम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बारीका :
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स्त्री० [फा०] १. बारीक होने की अवस्था या भाव। सूक्ष्मता। क्रि० प्र०—निकालना। २. गूढ़ता। २. जटिलता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बारीदार :
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पुं० [हिं० बारी=पारी+फा० दार प्रत्यय)] [स्त्री० बारीदरी, भाव० बारीदारी] पारी-पारी से परहा देनेवाले पहरेदारों मे से हर एक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बारीस :
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पुं०=बारीश (समुद्र)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बारुणी :
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स्त्री०=बारुणी (मदिरा)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बारुन्न :
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पुं० [सं० वारण] हाथी। (राज०) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बारू :
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पुं०=बार (द्वार) उदाहरण—महिं घूँबिअ पाइअ नहिं बारू। जायसी। पुं०=बालू। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बारूत :
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स्त्री० बारूद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बारूद :
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स्त्री० [सं० वारूद (अग्नि) से फा०] १. गंधक, शोरे, कोयले आदि का वह मिश्रण जो विस्फोटक होता है और आतिशबाजी तथा तोपें, बन्दूकें आदि चलाने के काम आता है। पद—गोला बारूद=युद्ध में काम आनेवाली तोपें बंदूके उनके गोले-गोलियाँ तथा अन्य आवश्यक सामग्री। २. कोई ऐसा तत्त्व या पदार्थ जो जरा-सा सहारा पाकर बहुत भीषण परिणाम उत्पन्न करता या कर सकता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बारूदखाना :
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पुं० [फा० बारूदखानः] वह स्थान जहाँ बारूद तैयार किया जाता अथवा सुरक्षित रखा जाता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बारूदी :
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वि० [फा०] १. बारूद संबंधी। २. जिसमें बारूद हो अथवा रखा या छिपाया गया हो। जैसे—बारूदी सुरंग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बारे :
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अव्य० [फा०] १. अंततः। आखिरकार। २. अस्तु। खैर। ३. चलो, अच्छा हुआ। कुशल है कि। जैसे—मुझे तो बहुत चिंता हो रही थी, बारे आप आ गये। अब काम हो जायगा। उदाहरण—हर महीने में कुढ़ाते थे मुझे फूल के दिन। बारे अब की तो मेरे टल गये मामूल के दिन।—रंगीन। पद—बारे में=(किसी के) प्रसंग विषय या सम्बन्ध में। विषय में। जैसे—उनके बारे में आपकी क्या राय है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बारोठा :
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पुं०=बरोठा (द्वार)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बारोमीटर :
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पुं०=बैरोमीटर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बार्डर :
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पुं० [अ०] १. छोर। किनारा। २. धोती के किनारे पर की पट्टी। ३. सीमा। हद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बार्बर :
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वि० [सं० बर्बर+अण्] १. बर्बर देश में उत्पन्न। बर्बर देश का। २. बर्बर सम्बन्धी। पुं० [अं०] नाई। हज्जाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बार्ह :
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वि० [सं० वर्ह+अण्] १. वर्हि या मोर सम्बन्धी। २. मोर के पंख का बना हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बार्हस्पत्य :
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वि० [सं० बृहस्पति+अण्] बृहस्पति सम्बन्धी। पुं० १. गणित ज्योतिष में सा संवत्सरों में से एक। २. नास्तिक भूतवादियों का लोकायत सम्प्रदाय जो गुरु बृहस्पति द्वारा प्रवर्तित माना गया है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बार्हिण :
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वि० [सं० वर्हिण+अण्] मयूर सम्बन्धी। मोर का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |