फूट/phoot

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फूट  : स्त्री० [हिं० फूटना] १. फूटने की क्रिया या भाव। २. जिन लोगों को आपस में मिलकर रहना या जो आपस में मिलकर रहते आये हों, उनमें उनमें होनेवाला पारस्परिक विरोध या वैमनस्य। आपसी अनबन या बिगाड़। पद—फूट-फटक=आपस में होनेवाली अनबन या फूट। मुहावरा—फूट डालना=जो लोग मिलकर रहते हों, उनमें भेद-भाव या विरोध उत्पन्न करना। ३. एक प्रकार की ककड़ी जो पकने पर प्रायः खेतों में ही फट जाती है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
फूटन  : स्त्री० [हिं० फूटना] १. फूटने की क्रिया या भाव। २. वह खंड या टुकड़ा जो फूटकर अलग हो गया या निकल आया हो। ३. शरीर के जोड़ों में होनेवाली वह पीड़ा जिसमें अंग फूटते हुए से जान पड़ते हैं। जैसे—हड़फूटन।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
फूटना  : अ० [सं० स्फुटन] १. मिट्टी, धातु आदि की बनी हुई वस्तु का आघात लगने अथवा गिरने के फलस्वरूप अनेक छोटे-छोटे टुकड़ों में विभक्त होना। जैसे—(क) शीशा फूटना। (ख) स्लेट फूटना। २. विशेषतः किसी कड़ी और प्रायः गोलाकार चीज का आघात लगने पर या दबाब पड़ने पर इस प्रकार टूटना कि उसके अन्दर का अवकाश आस-पास के अवकाश के साथ मिलकर एक हो जाय। जैसे—मटका या हँडिया फूटना। ३. शरीर के किसी अंग में ठोकर लगने पर उसमें से रक्त बहने लगा। जैसे—पाँव या सिर फूटना। ४. अन्दर का दबाव पड़ने से अथवा किसी प्रकार की बाहरी क्रिया से किसी चीज का ऊपरी आवरण या स्तर फटना। जैसे—आँख फूटना, कटहल फूटना फोड़ा फूटना। ५. रासायनिक पदार्थों विशेषतः गोले, बम आदि का धमाके के साथ फटना। विस्फोट होना। ६. किसी प्रकार या रूप में ऊपर या बाहर आकर दृष्य, प्रकट या स्पष्ट होना। जैसे—(क) चन्द्रमा या सूर्य की किरण फूटना। (ख) अंग-अंग से शोभा या सौन्दर्य फूटना। ७. किसी चीज का ऊपरी आवरण को तोड़ या भेद कर वेगपूर्वक बाहर निकलना। जैसे—पहाड़ में से पानी का सोता फूटना। ८. ऊपरी दबाव हटाकर निकनला। बाहर आना अथवा प्रकट होना। जैसे—(क) गरमी के कारण शरीर में दाने फूटना। (ख) वनस्पतियों में अंकुर या वृक्ष में डालें फूटना। मुहावरा—फूट-फूटकर रोना-बिलख-बिलखकर रोना। बहुत विलाप करना। ९. उक्त के आकार पर शाखा के रूप में अलग होकर किसी सीध में जाना। जैसे—थोड़ी दूर पर सड़क से एक और रास्ता फूटा है। १॰. कली का खिलकर फूल का रूप धारण करना। प्रस्फुटित होना० ११. मत-भेद, राग-द्वेष आदि होने पर दल, मंडली समाज आदि में से निकल कर किसी का अलग होना। जैसे—(क) दल में से बहुत से लोग फूटकर विरोधियों में जा मिले हैं। (ख) इस मुकदमें का एक गवाह फूट गया है। १२. संयुक्त या साथ न रहकर अलग होना। जैसे—यह नर (पशु) अपनी मादा से फूट गया है। १३. शरीर के अंगों या जोड़ों में ऐसा दर्द होना कि वह अंग फटता हुआ सा जान पड़े। फटना। मुहावरा—उँगलियाँ फूटना=खींचने या मोड़ने से उँगलियों के जोड़ों का खट-खट बोलना। उँगलियाँ चटकाना। १४. इस प्रकार या इतना अधिक विकृत होना कि किसी काम का न रह जाय। जैसे—भाग्य फूटना। पद—फूटी आँखों का तारा=कोई ऐसी बहुत ही प्रिय वस्तु जो उसी प्रकार की बहुत सी वस्तुओं के नष्ट हो जाने पर अकेली बच रही हो। जैसे—सात बच्चों में एक बच्चा फूटी आँखों का तारा रह गया है। फूटी कौड़ी=वह टूटी हुई कौड़ी जिसका कुछ भी महत्त्व या मूल्य न रह गया हो। जैसे—इसे बेचने पर तो फूटी कौड़ी भी न मिलेगी। मुहावरा—फूटी आँखों न देख सकना=जरा भी देखने की प्रवृत्ति या रुचि न होना। जैसे—सौत के लड़कों को तो वह फूटी आँखों नहीं देख सकती। फूटी आँखों न भाना=तनिक भी अच्छा न लगना। बहुत बुरा या अप्रिय लगना। जैसे—तुम्हारा यह आवागमन मुझे फूटी आँखों नहीं भाता। फूटे मुँह से बोला=उपेक्षा, द्वेष आदि के कारण किसी से साधारण बात-चीत भी न करना। १५. पानी या तरल पदार्थों का इतना खौलना कि उसके तल पर छोटे-छोटे बुलबुलों के मसूह दिखायी देने लगे। जैसे—जब दूध (या पानी) फूटने लगे, तब उसमें चावल छोड़ देना। १६. पानी या किसी तरल पदार्थ का किसी तल के इस पार से उस पार निकलना। जैसे—यह कागज अच्छा नहीं है इस पर स्याही फूटती हैं। १७. मुँह से शब्द उच्चरित होना या निकलना। जैसे—(क) लाख समझाओं पर वह मुँह से कुछ फूटता ही नहीं है। (ख) अब भी तो मुँह से कुछ फूटों। १८. कोई गुप्त, भेद या रहस्य सब पर प्रकट हो जाना। जैसे—देखों, यह बात कही फूटने न पावे, अर्थात् किसी पर प्रकट न होने पावे।
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फूटा  : पुं० [हिं० फूटना] १. फसल की वह बालें जो टूटकर खेतों में गिर पड़ती है। २. शरीर के जोड़ों में होनेवाला वह दर्द जिसमे अंग फूटते हुए जान पड़ते हैं। वि० [स्त्री० फूटी] १. जो फूट चुका हो। २. फलतः खराब या बिगड़ा हुआ। जैसे—फूटी आँख।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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