शब्द का अर्थ
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फी :
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अव्य० [अं० फ़ी] हर एक। प्रत्येक। जैसे—फी अदमी दो रुपये लगेंगे। स्त्री० [अनु०] ऐब। त्रुटि। दोष। क्रि० प्र०—निकालना। स्त्री० [अं० फ़ी] फीस। |
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फी-सदी :
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अव्य० [फा० फ़ी सदी] हर सौ के हिसाब से। प्रतिशत। |
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फीक :
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स्त्री० [?] चाबुक की मार। |
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फीका :
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वि० [सं० अपक्क, प्रा० अपिक्क] १. (खाद्य पदार्थ) जिसमें आवश्यक, उपयुक्त अथवा यथेष्ठ मिठास रस अथवा स्वाद न हो जैसे—फीका दूध (जिसमें यथेष्ट मिठास न हो) फीकी तरकारी (जिसमें यथेष्ठ नमक-मिर्च न हो) २. (रंग) जो यथेष्ठ चमकीला या तेज न हो। धूमिल मलिन। जैसे—चार दिन में ही साड़ी का रंग फीका हो जायगा। ३. (खेल, तमाशा आदि) जिसमें आनंद की प्राप्ति न हुई हो। ४. (पदार्थ या व्यक्ति) कांति, तेज, प्रभा आदि से रहित या हीन। जैसे—मुझे देखते ही उसके चेहरे का रंग फीका पड़ गया। मुहावरा—(किसी व्यक्ति का) फीका पड़ना-लज्जित होने के कारण निष्प्रभ या श्री-हत होना। ५. जिसका अभीष्ट या यथेष्ठ परिणाम न हुआ हो अथवा प्रभाव न पड़ा हो। उदाहरण—नीकी दई अनाकनी, फीकी परी गुहारि।—बिहारी। ६. (व्यक्ति का शरीर) जो हलके ज्वर के कारण कुछ गरम और तेजहीन या सुस्त हो गया हो। (स्त्रियाँ) जैसे—हाथ लगाकर देखा तो पिंडा फीका लगा। |
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फींचना :
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सं०=फीचना। |
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फीचना :
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सं० [अनु० फिच्-फिच्] कपड़े को गीला करके और बार-बार पटकर साफ करना। पछाड़ना। |
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फीता :
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पुं० [पुर्त] १. सूत आदि की बुनी हुई बहुत कम चौड़ी और बहुत अधिक लम्बी वह धज्जी या पट्टी जो कई प्रकार की चीजें बाँधने और कई प्रकार के कपडों पर टाँकने के काम आती है। जैसे—जूता बाँधने की फीता, साड़ी पर टाँकने का फीता। २. उक्त प्रकार की वह धज्जी या पट्टी जिस पर इंचों आदि के चिन्ह बने होते हैं और जो चीजों की ऊँचाई, गहराई लंबाई आदि नापने के काम आती है। (टेप)। |
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फीफरी :
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स्त्री०=फफरी। |
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फीरनी :
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स्त्री०=फिरनी (खाद्य पदार्थ)। |
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फीरोज़ :
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वि० [फा० फ़िरोज़] १. विजयी। २. सफल। ३. सुखी और सम्पन्न। ४. भाग्यवान। फीरोज के रंग का। हरापन लिये नीले रंग का। |
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फीरोजा :
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पुं० [फा० फ़ीरोज] एक प्रकार का बहुमूल्य पत्थर या रत्न जो हरापन लिये नीले रंग का होता है। |
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फीरोजी :
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वि० [फा० फ़ीरोज़ी] फीरोजी के रंग का। हरापन लिये नीला। पुं० उक्त प्रकार का रंग। |
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फील :
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पुं० [फा० फ़ील] हाथी। |
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फीलखाना :
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पुं० [फा०] वह स्थान जिसमें हाथी रखे जाते हैं। हस्तिशाला। हथिसार। |
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फीलपा :
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पुं० [फा०] एक प्रकार का रोग जिसमें पैर या हाथ फूलकर बहुत मोटा हो जाता है। |
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फीलपाया :
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पुं० [फा० फ़ीलपा] १. ईंटों का बना हुआ वह मोटा खम्भा जिस पर छट ठहरायी जाती है। २. पाँव सूजने का एक रोग। पुं०=फीलपा (रोग)। |
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फीलवान :
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पुं०=महावत। (हाथीवान)। |
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फीला :
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पुं० [फा० फ़ीलः] शतरंज के खेल में हाथी नाम का मोहरा। |
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फीली :
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स्त्री०=पिंडली। |
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फीस :
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स्त्री० [अं० फ़ी] १. कुछ विशिष्ट व्यवसायियों को उनके विशिष्ट कृत्यों के बदले मे पारिश्रमिक के रूप में दिया जानेवाला धन। जैसे—डाक्टर या वकील की फीस। २. वह धन जो विद्यार्थी को किसी विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के बदले मे मासिक रूप से देना पड़ता है। शुल्क। ३. कर। |
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