जानु/jaanu

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जानु  : पुं० [सं०√जन्+त्रुण्] १. टाँग के बीच का जोड़। घुटना। स्त्री० [फा० जान] परमप्रिय स्त्री। २. उक्त जोड़ तथा उसके आस-पास का स्थान। जैसे–जानु में दर्द होता है। ३. जंघा। रान।
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जानु-पाणि  : क्रि० वि० [द्व० स०] घुटनों और हाथों से। घुटनों और हाथों के बल।
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जानु-विजानु  : पुं० [सं०] तलवार चलाने का एक ढंग।
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जानुपानि  : क्रि० वि०=जानु-पाणि।
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जानुवाँ  : पुं० [सं० जानु] पशुओं विशेषतः हाथियों को होनेवाला एक रोग जिसमें उनके घुटनों में पीड़ा होती है तथा जिसमें कभी कभी घुटनों की हड्डियों उभर भी आती हैं।
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