शब्द का अर्थ
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घोल :
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पुं० [सं०√घुड् (व्याघात)+घञ्, ड को ल] १. बिना पानी डाले मथा हुआ दही। २. लस्सी। ३. किसी तरल पदार्थ में कोई दूसरी (तरल अथवा घुलनशील) वस्तु मिलाकर तैयार किया हुआ मिश्रण। (सोल्यूशन)। |
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समानार्थी शब्द-
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घोल-दही :
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पुं० [हिं० घोलना+दही] मट्ठा। |
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घोलना :
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स० [सं० घुण्, घोलय, प्रा० घोलेई, बं० घुलान, उ० घोरिबा, पं० घोलणा, सि० घोरणु, गु० घोड़वूँ, ने० घोल्नु, मरा० घोलणें] किसी तरल पदार्थ में कोई अन्य घुलनशील वस्तु मिलाना। जैसे–दूध में चीनी घोलना। मुहावरा–(कोई चीज) घोल कर पी जाना=किसी चीज का सम्पूर्णता अंत कर देना। जैसे–तुम तो लज्जा घोलकर पी गये। घोल पीना=घोल कर पी जाना। |
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घोला :
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पुं० [हिं० घोलना] १. किसी वस्तु को जल में घोलकर बनाया हुआ मिश्रण। जैसे–अफीम या भाँग का घोला। मुहावरा–घोले में डालना=(क) रोक या फँसा रखना। उलझन में डाल रखना। (ख) किसी काम में टाल-मटोल करना। घोले में पड़ना=झंझट या बखेड़े में पड़ना, ऐसे काम में फँसना जो जल्दी पूरा न हो। २. वह नाली जिससे खेत सींचने के लिए पानी ले जाते हैं। बरहा। |
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घोलुआ(लुवा) :
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वि० [हिं० घोलना+उवा (प्रत्यय)] घोला हुआ। जो घोल कर बनाया गया हो। पुं० १. सब्जी, मांस आदि का रसा या शोरबा। २. पीने की तरल ओषधि। ३. पानी में कोई चीज (जैसे–अफीम, भाँग, सीमेंट) घोल कर बनाया हुआ मिश्रण। ४. मिट्टी का पुरवा। |
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