क्षणिक-वाद/kshanik-vaad

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क्षणिक-वाद  : पुं० [ष० त०] बौद्धों का यह सिद्धान्त कि प्रत्येक वस्तु अथवा उसका कण या तत्त्व प्रतिक्षण नष्ट होकर फिर से नया बनता रहता है। सब चीजों को क्षणिक मानने का सिद्धान्त।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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