शब्द का अर्थ
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क्रिया-पाद :
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पुं० [उपमित० स०] १. धर्म-शास्त्र में व्यवहार या मुकदमें के चार पादों (अंगों) में से एक जिसमें प्रतिवादी की ओर से वादी के अभियोग का उत्तर मिल चुकने पर वादी अपने प्रमाण साक्षी आदि उपस्थित करता है। २. शैव-दर्शन में दीक्षा-विधि का अंगों और उपांगों सहित प्रदर्शन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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