शब्द का अर्थ
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औल :
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पुं० [देश] जंगली प्रदेशों में होनेवाला एक प्रकार का ज्वार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
औलना :
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अ० [अनु] १. तप्त होना। जलना। २. =औसना। स० १. गरम करना। २. तपाना। ३. कष्ट देना(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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औलंभा :
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पुं०=उपालंभ। |
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औला :
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प्रत्यय [सं० पोलक, प्रा० ओलआ=बच्चा या छोटा रूप] एक प्रत्यय जो कुछ शब्दों के अंत में लगकर उनके आरंभिक या छोटे रूप का वाचक होता है। जैसे—बिनौला (बन या कपास का आरम्भिक रूप) अगौला (गन्ने का आरम्भिक भाग या ऊपरी रूप) आदि। |
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औला-दौला :
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वि० [देश] जिसे किसी बात की चिन्ता या ध्यान न हो। ला-परवाह। |
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औलाद :
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स्त्री० [अ०] वंशज। संतति। संतान। |
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औलिया :
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पुं० [अ० वली का बहु०] मुसलमानी धर्म के अनुसार बहुत बड़े भक्त या पहुँचे हुए फकीर। (बहुवचनात्मक होने पर भी प्रायः एक वचन में प्रयुक्त) |
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औली :
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स्त्री० [सं० आवली] वह अन्न जो नई फसल में से पहली बार काटा गया हो। नवान्न।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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औलूक्य :
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पुं० [सं० उलूक+ष्यञ्] उलूक (अर्थात् कणादि) ऋषि का वैशेषिक दर्शन। |
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औलूक्य-दर्शन :
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पुं० [ष० त०] वैशेषिक दर्शन। |
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औलूखल :
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वि० [सं० उलूखल+अण्] १. उलूखल या ऊखल संबंधी। २. (अन्न) जो ऊखल में कूटा गया हो। जैसे—चिड़वा आदि। |
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औलेखाँ :
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पुं० दे० ‘औले भाई’। |
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औलेभाई :
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पद [औले-अनु०+फा० खाँ] ठगों का एक पारिभाषिक पद जिसका प्रयोग वे पारस्परिक संबोधन के समय करते हैं। |
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