शब्द का अर्थ
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ओड़न :
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पुं० [हं० ओड़नामाल ढोना] १. गधों, बैलों आदि पर माल ढोने का काम या व्यवसाय। २. इस प्रकार ढोकर पहुँचाया जानेवाला माल या सामान। उदाहरण—ओड़न मेरा राम नाम, मैं रामहिं का बनिजारा हो।—कबीर। पुं० [हिं० ओड़ना=रोकना या सहना] १. ओड़ने की क्रिया या भाव। २. आघात या वार ओड़ने या रोकनेवाली चीज। जैसे—ढाल, फरी आदि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओड़न :
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पुं० [हं० ओड़नामाल ढोना] १. गधों, बैलों आदि पर माल ढोने का काम या व्यवसाय। २. इस प्रकार ढोकर पहुँचाया जानेवाला माल या सामान। उदाहरण—ओड़न मेरा राम नाम, मैं रामहिं का बनिजारा हो।—कबीर। पुं० [हिं० ओड़ना=रोकना या सहना] १. ओड़ने की क्रिया या भाव। २. आघात या वार ओड़ने या रोकनेवाली चीज। जैसे—ढाल, फरी आदि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओड़ना :
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स० [हिं० ओट] १. आघात या प्रहार रोकने या सहने के लिए बीच में कोई आड़ या ओट खड़ी करना या कोई चीज आगे बढ़ाना। उदाहरण—(क) एक कुसल अति ओड़न खाँड़े।—तुलसी। (ख) ओड़ि अहिं हाथ असिनहु के घाए।—तुलसी। २. कुछ माँगने या लेने के लिए झोली, कपड़े का पल्ला या हाथ बढ़ाना या फैलाना। उदाहरण—तजि रघुनाथ हाथ और काहि ओड़िए।—तुलसी। ३. दे० ‘ओढ़ना’। स० [हिं० ओड़] गधे, बैल आदि पर माल लादकर एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना। |
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समानार्थी शब्द-
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ओड़ना :
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स० [हिं० ओट] १. आघात या प्रहार रोकने या सहने के लिए बीच में कोई आड़ या ओट खड़ी करना या कोई चीज आगे बढ़ाना। उदाहरण—(क) एक कुसल अति ओड़न खाँड़े।—तुलसी। (ख) ओड़ि अहिं हाथ असिनहु के घाए।—तुलसी। २. कुछ माँगने या लेने के लिए झोली, कपड़े का पल्ला या हाथ बढ़ाना या फैलाना। उदाहरण—तजि रघुनाथ हाथ और काहि ओड़िए।—तुलसी। ३. दे० ‘ओढ़ना’। स० [हिं० ओड़] गधे, बैल आदि पर माल लादकर एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना। |
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समानार्थी शब्द-
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