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स्टोरेज

सम्पादकीय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :0
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 9
आईएसबीएन :

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कम्प्यूटर सर्वर का डाटा कई प्रकार से सुरक्षित रखा जा सकता है। यदि डाटा स्वतंत्र डिस्कों के समूह में रखा जाये तो उसे केंद्रीय भंडारण अथवा सेंट्रल स्टोरेज कहते हैं।

कम्प्यूटर जगत् में जानकारी अथवा डाटा की संख्या बढ़ती ही जा रही है। लगभग 35 वर्ष पूर्व जब कि कम्प्यूटर जगत् में कुछ संस्थानों के पास ही बड़े सर्वर होते थे, उसी समय से हार्ड डिस्क जिनमें डाटा सुरक्षित रखा जाता था, उसमें स्थान की कमी पड़ने लगी। इसके अतिरिक्त यदि हार्ड डिस्क खराब हो जाये तो उस समय सारा डाटा खो जाता था। इस प्रकार की समस्याओं से निपटने के लिए ऐसी व्यवस्था की गई जिसमें एक साथ कई हार्ड डिस्क मिल जुल कर काम कर सकें। इस हल का लाभ यह हुआ कि अब डाटा अधिक संख्या में सुरक्षित रखा जाने लगा, साथ ही कुछ ऐसी व्यवस्थाएँ बनाई गईं कि कई हार्ड डिस्कों के समूह में से एक या दो हार्ड अचानक खराब हो जायें तो भी उस समूह की बाकी हार्ड डिस्क सुचारू रूप से काम करती रहे। इस व्यवस्था का सबसे अधिक लाभ यह हुआ की सर्वर का डाटा उपयोग कर्ताओं को हर समय उपलब्ध रहने लगा। इस प्रकार के हार्ड डिस्क के समूह को स्टोरेज कहते हैं। डिस्क समूह अथवा श्रंखला को सर्वर से तीन प्रकार से जोड़ा जाता है। पहली विधि में सर्वर के मदरबोर्ड अथवा आई-ओ बोर्ड से सीधा जोड़ देते हैं, दूसरी विधि में सर्वर और डिस्क समूह को फाइबर अथवा कॉपर की विशेष प्रकार से बनाई गई स्कजी केबल से जोड़ते हैं, तीसरी विधि में सर्वर और डिस्क समूह एक दूसरे से कॉपर अथवा फाइबर की नेटवर्क केबल से जोड़ते हैं।





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